वो वृंदावन है मेरा


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वो वृंदावन है मेरा

जहाँ प्रभु नाम के सुमिरन का,
रहता नित नया सवेरा,
वो वृंदावन है मेरा,
वो वृंदावन है मेरा।

यहाँ प्रेम के रंग में रंगी हुई है,
हर पत्ती हर डाली,
यह देश है जिसमे संतो की,
रहती है नित दीवाली,
यहाँ एक जोत व्यापक है,
जिसमे नहीं है तेरा मेरा,
वो वृंदावन है मेरा।

यहाँ वो ज्योति योगी जन,
जिसका ध्यान सदा धरते है,
जिस ज्योत से सूरज चाँद सितारे,
जग चानन करते है,
वही अजर अमर पावन,
प्रभु ज्योति करती दूर अँधेरा,
वो वृंदावन है मेरा।

बिन कानों के यहाँ शब्द सुने,
आँखो बिन गुदें माला,
बिन बादल के बूँदे बरसें
बिन सूरज रहे उजाला,
वो दायम कायम सुख जिसमे,
संतो ने डेरा डाला,
वो वृंदावन है मेरा।

यहाँ तीन नदी का संगम है
जो पाप ताप हरता है,
यहाँ गगन गुफा है,
भीतर जिसके,
अमृत रस है झरता,
बिन गुरु कृपा के,
लग नहीं सकता,
जिस धरती पर फेरा,
वो वृंदावन है मेरा।

यहाँ काल माया के,
अंधकार का,
दखल नहीं है कोई,
जो सतगुरु देव का प्यारा,
इस देश में पहुँचे सोई,
विरला गुरुमुख ही दासां,
पाता है यहाँ बसेरा,
वो वृंदावन है मेरा।
 



Krishna Bhajan :- कोई जाए जो वृंदावन, मेरा पैगा़म ले जाना! Bhajan - Koi jai jo vrindavan mera paigam
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