रोकर रघुवर जी कहते हैं हनुमान से, भोर होते ही लक्ष्मण जी मर जाएंगे, रोकर रघुवर जी कहते हैं हनुमान से, भोर होते ही लक्ष्मण जी मर जाएंगे।
मुंह दिखाऊंगा जाकर अयोध्या में क्या, प्राण मेरे यहीं पर निकल जाएंगे, रोकर रघुवर जी कहते हैं हनुमान से, भोर होते ही लक्ष्मण जी मर जाएंगे।
गोद लेकर लखन को मचाते रुदन, और कहते उठो मेरे प्यारे लखन, साथ छोडो ना अब भाई मेरे तुम, साथ छोड़ दोगे तो हम किधर जाएंगे, रोकर रघुवर जी कहते हैं हनुमान से, भोर होते ही लक्ष्मण जी मर जाएंगे।
बोले हनुमत जी जब तक है मुझ में दम, वीर लक्ष्मण को मरने नहीं देंगे हम, आप आंखों से आंसू बहाते हो क्यों, यह मुसीबत के पल भी गुजर जाएंगे, रोकर रघुवर जी कहते हैं हनुमान से, भोर होते ही लक्ष्मण जी मर जाएंगे।
बूटी लेने सजीवन जाता हूं मैं, देर होगी नहीं जल्दी आता हूं मैं, दिन निकलने ना दूंगा किसी तौर पर, सूर्य अपनी जगह पर ठहर जाएंगे, रोकर रघुवर जी कहते हैं हनुमान से, भोर होते ही लक्ष्मण जी मर जाएंगे।
बूटी संजीवन लखन को पिलाई गई, उठ कर बैठे लखन तो खुशी छा गई, रामा दल यों कहता है श्रीराम से, अब तो दुश्मन हमारे सहम जाएंगे, रोकर रघुवर जी कहते हैं हनुमान से, भोर होते ही लक्ष्मण जी मर जाएंगे।
रोकर रघुवर जी कहते हैं हनुमान से, भोर होते ही लक्ष्मण जी मर जाएंगे, रोकर रघुवर जी कहते हैं हनुमान से, भोर होते ही लक्ष्मण जी मर जाएंगे।