सुखदा है शुभा कृपा शक्ति शांति स्वरूप हिंदी मीनिंग Sukhda Hai Shubha Kripa Meaning
सुखदा है शुभा कृपा शक्ति शांति स्वरूप हिंदी मीनिंग Sukhda Hai Shubha Kripa Meaning : Swami Stayanand Ji Maharaj Dohe
सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शांति स्वरूप,
है ज्ञान आनंदमयी, राम कृपा अनूप.
है ज्ञान आनंदमयी, राम कृपा अनूप.
Sukhda Hai Shubha Kripa, Shakti Shanti Swaroop,
Hai Gyan Aanandmai, Ram Kripa Anoop.
प्रभु राम के रूप का दिव्य स्वरुप / वर्णन है की उनका स्वरुप परम कृपा है, वह सुख प्रदान करने वाला, मंगलकारी हर्ष, हित, अच्छाई, सौभाग्य प्रदान करने वाला है। श्री राम का स्वरुप ज्ञान एवं आनंद का भंडार है और सबका मंगलकरने वाला है और वह आनंद और ज्ञान से परिपूर्ण है अतः अनुपम है।
प्रभु राम के रूप-स्वरूप के वर्णन में अद्भुत भावनाएं प्रकट की हैं। उन्हें परम कृपा के प्रतीक और सबका मंगलकारी स्वरूप के रूप है। उनकी कृपा अनन्त है, और वे ज्ञान और आनंद का भंडार हैं। उनके स्वरूप में शक्ति, सामर्थ्य और शांति-आनंद की अनंत स्रोत हैं।
रूप-स्वरूप के उदाहरण के माध्यम से राम के स्वर्ण स्वरूप का संबोधन किया है, जिसे हार, कंगन, कुंडल आदि आभूषणों के रूप में है।
इन उदाहरणों से सत्य और भावनाएं दिखाई हैं, जो प्रभु राम के रूप-स्वरूप को अभिव्यक्त करती हैं। इससे व्यक्ति को राम के भक्तिपूर्ण और आनंदमय स्वरूप का समर्थन मिलता है और उन्हें उनके सच्चे स्वरूप का अनुभव होता है।
रूप-स्वरूप के उदाहरण के माध्यम से राम के स्वर्ण स्वरूप का संबोधन किया है, जिसे हार, कंगन, कुंडल आदि आभूषणों के रूप में है।
इन उदाहरणों से सत्य और भावनाएं दिखाई हैं, जो प्रभु राम के रूप-स्वरूप को अभिव्यक्त करती हैं। इससे व्यक्ति को राम के भक्तिपूर्ण और आनंदमय स्वरूप का समर्थन मिलता है और उन्हें उनके सच्चे स्वरूप का अनुभव होता है।
सुखदा है शुभा कृपा - प्रभु राम की कृपा विशेष रूप से सुख और शुभ फल प्रदान करने वाली है। उनकी कृपा से भक्त जीवन में सुखी और शुभ होते हैं।
शक्ति शांति स्वरूप - राम की कृपा से भक्तों को शक्ति और शांति मिलती है। उनके सामर्थ्य से भक्त अपने कठिनाईयों को आसानी से पार कर सकते हैं और शांति की अनुभूति कर सकते हैं।
है ज्ञान आनंदमयी - प्रभु राम की कृपा से भक्तों को अद्भुत ज्ञान और आनंद का अनुभव होता है। उनके दर्शन से भक्त जीवन को अर्थपूर्ण बनाने का ज्ञान प्राप्त करते हैं और अटूट आनंद का अनुभव करते हैं।
राम कृपा अनूप - प्रभु राम की कृपा अनूपम है, अर्थात् अनुपम और अद्भुत है। उनकी कृपा का अनुभव विशेष है और उसके समान दूसरे किसी के पास नहीं है। भक्त राम की अनूप कृपा को प्राप्त करने में धन्य होते हैं।
इस श्लोक के माध्यम से प्रभु राम के अद्भुत और अनूपम स्वरूप का सत्यापन किया है, जो भक्तों को उनके प्रती सर्वदा प्रेरित करता है।
शक्ति शांति स्वरूप - राम की कृपा से भक्तों को शक्ति और शांति मिलती है। उनके सामर्थ्य से भक्त अपने कठिनाईयों को आसानी से पार कर सकते हैं और शांति की अनुभूति कर सकते हैं।
है ज्ञान आनंदमयी - प्रभु राम की कृपा से भक्तों को अद्भुत ज्ञान और आनंद का अनुभव होता है। उनके दर्शन से भक्त जीवन को अर्थपूर्ण बनाने का ज्ञान प्राप्त करते हैं और अटूट आनंद का अनुभव करते हैं।
राम कृपा अनूप - प्रभु राम की कृपा अनूपम है, अर्थात् अनुपम और अद्भुत है। उनकी कृपा का अनुभव विशेष है और उसके समान दूसरे किसी के पास नहीं है। भक्त राम की अनूप कृपा को प्राप्त करने में धन्य होते हैं।
इस श्लोक के माध्यम से प्रभु राम के अद्भुत और अनूपम स्वरूप का सत्यापन किया है, जो भक्तों को उनके प्रती सर्वदा प्रेरित करता है।
(राम-कृपा अवतरण)
परम कृपा सुरूप है, परम प्रभु श्री राम ।
जन पावन परमात्मा, परम पुरुष सुख धाम ।। १ ।।
सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शान्ति स्वरूप ।
है ज्ञान आनन्द मयी, राम कृपा अनूप ।। २ ।।
परम पुण्य प्रतीक है, परम ईश का नाम ।
तारक मंत्र शक्ति घर, बीजाक्षर है राम ।। ३ ।।
साधक साधन साधिए, समझ सकल शुभ सार ।
वाचक वाच्य एक है, निश्चित धार विचार ।। ४ ।।
मंत्रमय ही मानिए, इष्ट देव भगवान् ।
देवालय है राम का, राम शब्द गुण खान ।। ५ ।।
राम नाम आराधिए, भीतर भर ये भाव ।
देव दया अवतरण का, धार चौगुना चाव ।। ६ ।।
मन्त्र धारणा यों कर, विधि से ले कर नाम ।
जपिए निश्चय अचल से, शक्ति धाम श्री राम ।। ७ ।।
यथा वृक्ष भी बीज से, जल रज ऋतु संयोग ।
पा कर, विकसे क्रम से, त्यों मन्त्र से योग ।। ८ ।।
यथा शक्ति परमाणु में, विद्युत् कोष समान ।
है मन्त्र त्यों शक्तिमय, ऐसा रखिए ध्यान ।। ९ ।।
ध्रुव धारणा धार यह, राधिए मन्त्र निधान ।
हरि-कृपा अवतरण का, पूर्ण रखिए ज्ञान ।। १० ।।
आता खिड़की द्वार से, पवन तेज का पूर ।
है कृपा त्यों आ रही, करती दुर्गुण दूर ।। ११ ।।
बटन दबाने से यथा, आती बिजली धार ।
नाम जाप प्रभाव से, त्यों कृपा अवतार ।।१२ ।।
खोलते ही जल नल ज्यों, बहता वारि बहाव ।
जप से कृपा अवतरित हो, तथा सजग कर भाव ।। १३ ।।
राम शब्द को ध्याइये, मन्त्र तारक मान ।
स्वशक्ति सत्ता जग करे, उपरि चक्र को यान ।। १४ ।।
दशम द्वार से हो तभी, राम कृपा अवतार ।
ज्ञान शक्ति आनन्द सह, साम शक्ति संचार ।। १५ ।।
देव दया स्वशक्ति का, सहस्र कमल में मिलाप ।
हो सत्पुरुष संयोग से, सर्व नष्ट हों पाप ।। १६ ।।
परम कृपा सुरूप है, परम प्रभु श्री राम ।
जन पावन परमात्मा, परम पुरुष सुख धाम ।। १ ।।
सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शान्ति स्वरूप ।
है ज्ञान आनन्द मयी, राम कृपा अनूप ।। २ ।।
परम पुण्य प्रतीक है, परम ईश का नाम ।
तारक मंत्र शक्ति घर, बीजाक्षर है राम ।। ३ ।।
साधक साधन साधिए, समझ सकल शुभ सार ।
वाचक वाच्य एक है, निश्चित धार विचार ।। ४ ।।
मंत्रमय ही मानिए, इष्ट देव भगवान् ।
देवालय है राम का, राम शब्द गुण खान ।। ५ ।।
राम नाम आराधिए, भीतर भर ये भाव ।
देव दया अवतरण का, धार चौगुना चाव ।। ६ ।।
मन्त्र धारणा यों कर, विधि से ले कर नाम ।
जपिए निश्चय अचल से, शक्ति धाम श्री राम ।। ७ ।।
यथा वृक्ष भी बीज से, जल रज ऋतु संयोग ।
पा कर, विकसे क्रम से, त्यों मन्त्र से योग ।। ८ ।।
यथा शक्ति परमाणु में, विद्युत् कोष समान ।
है मन्त्र त्यों शक्तिमय, ऐसा रखिए ध्यान ।। ९ ।।
ध्रुव धारणा धार यह, राधिए मन्त्र निधान ।
हरि-कृपा अवतरण का, पूर्ण रखिए ज्ञान ।। १० ।।
आता खिड़की द्वार से, पवन तेज का पूर ।
है कृपा त्यों आ रही, करती दुर्गुण दूर ।। ११ ।।
बटन दबाने से यथा, आती बिजली धार ।
नाम जाप प्रभाव से, त्यों कृपा अवतार ।।१२ ।।
खोलते ही जल नल ज्यों, बहता वारि बहाव ।
जप से कृपा अवतरित हो, तथा सजग कर भाव ।। १३ ।।
राम शब्द को ध्याइये, मन्त्र तारक मान ।
स्वशक्ति सत्ता जग करे, उपरि चक्र को यान ।। १४ ।।
दशम द्वार से हो तभी, राम कृपा अवतार ।
ज्ञान शक्ति आनन्द सह, साम शक्ति संचार ।। १५ ।।
देव दया स्वशक्ति का, सहस्र कमल में मिलाप ।
हो सत्पुरुष संयोग से, सर्व नष्ट हों पाप ।। १६ ।।