आ जाओ माँ जगदम्बे तेरे भगत खड़े तेरे द्वार
(मुखड़ा)
आ जाओ, माँ जगदंबे,
तेरे भगत खड़े, तेरे द्वार,
पुकारें तुमको बारंबार,
आ जाओ, माँ जगदंबे।।
(अंतरा)
तुम मैया, हम बालक तेरे,
कष्ट हरो सब, मैया मेरे,
तड़पत हूँ मैं, साँझ-सबेरे,
आ जाओ, माँ जगदंबे।।
बार-बार तेरा रूप निरखते,
फिर भी ना ये नैना थकते,
साल-महीने से पल कटते,
आ जाओ, माँ जगदंबे।।
पूजा-अर्चना मैं क्या जानूँ,
तू है माँ, बस इतना जानूँ,
तुमको अपना सबकुछ मानूँ,
आ जाओ, माँ जगदंबे।।
मातु भवानी, दुर्गे मैया,
पार करो मेरी जीवन नैया,
तुम बिन दूजा कौन खेवैया,
आ जाओ, माँ जगदंबे।।
जय-जय-जय, जगदंबे माता,
दरश बिना, मनवा आकुलता,
आजा, आ 'राजेंद्र' बुलाता,
आ जाओ, माँ जगदंबे।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
आ जाओ, माँ जगदंबे,
तेरे भगत खड़े, तेरे द्वार,
पुकारें तुमको बारंबार,
आ जाओ, माँ जगदंबे।।
आजाओ जगदम्बे तेरे भगत खड़े तेरे द्वार पुकारें तुमको बारम्बार
lyricist_rajendra prasad soni
singar-rajendra prasad soni