इक दिन कान्हा शोर मचाये पेट पकड़ चिल्लाये

इक दिन कान्हा शोर मचाये पेट पकड़ चिल्लाये

इक दिन कान्हा शोर मचाये,
पेट पकड़ चिल्लाये,
अरे क्या हो गया है,
अरे क्या हो गया है,
भामा रुक्मण समझ ना पाये,
अरे क्या हो गया है,
अरे क्या हो गया है।

पूछे हैं दोनों रानी,
पीड़ा मिटेगी कैसे सांवरे,
मैं लाऊँ भर के पानी,
बोले मैं ना बचूं मैं तो आज रे,
चरणो को धो कर जल को जाओ,
ला कर मुझे पिलाओ,
अरे क्या हो गया है,
अरे क्या हो गया है।

ऐसा ना होगा हमसे,
कहने लगी वो दोनों रानियां,
पैरो को दो धो कर अपने,
कैसे पिला दें भला पानी यह,
जब तक सूरज चाँद फलक पे,
होगा वास नरक में,
अरे क्या हो गया है,
अरे क्या हो गया है।

नारद से बोले कान्हा,
अब तो हुआ है बुरा हाल रे,
राधा से जाके कहदो अपने,
कन्हैया को संभाल रे,
आज अगर वो जल ना पाऊं,
मुश्किल है बच पाऊं,
अरे क्या हो गया है,
अरे क्या हो गया है।

सोचे वो प्रेम दीवानी,
प्रेम का यही तो दस्तूर है,
प्राण बचे मोहन के,
नरक में जाना मंजूर है,
झट से अपने चरण धुलाये,
लोटा दिया थमाये,
अरे क्या हो गया है,
अरे क्या हो गया है।

धन्य ओ राधे रानी,
रीत निभायी तूने प्यार की,
प्रीत में लुट के मानो,
खुशियां मिली हैं तुझे जीत की,
हर्ष कहे कान्हा मुस्काये,
रानी खड़ी लज्जाये,
अरे क्या हो गया है,
अरे क्या हो गया है।



Dilkhush- Bahut Pyara Krishan Bhajan
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