दादी नाचण दे तेरे भक्ता ने तेरो खूब सज्यो श्रृंगार

दादी नाचण दे तेरे भक्ता ने तेरो खूब सज्यो श्रृंगार

(मुखड़ा)
दादी नाचण दे तेरे भक्तां ने,
तेरो खूब सज्यो श्रृंगार,
दादी नाचण दे।

कीर्तन माहि आज छा गई,
कीर्तन माहि आज छा गई,
बागां की बहार।
दादी नाचण दे।

(अंतरा)
रंग बिरंगो गजरो सूं,
श्रृंगार सज्यो है प्यारो जी,
सुरगां सूं भी न्यारो लागे,
सुरगां सूं भी न्यारो लागे,
यो तेरो दरबार।
दादी नाचण दे।

देख देख श्रृंगार भवानी,
भक्तां रो मन हरषे जी,
टाबरिया थारा आज खड़्या है,
टाबरिया थारा आज खड़्या है,
नाचण ने तैयार।
दादी नाचण दे।

ठुमक ठुमक कर नाची दादी,
थाने आज रिझास्या जी,
ताल सूं ताल मिलास्यां म्हारे,
ताल सूं ताल मिलास्यां म्हारे,
घुंघरू की झंकार।
दादी नाचण दे।

‘हर्ष’ कहे माँ टाबरिया ने,
मत ना रोको टोको जी,
आज भवानी झूम के नाची,
आज भवानी झूम के नाची,
भूल में म्हे घरबार।
दादी नाचण दे।

(अंतिम पुनरावृति)
दादी नाचण दे तेरे भक्तां ने,
तेरो खूब सज्यो श्रृंगार,
दादी नाचण दे।

कीर्तन माहि आज छा गई,
कीर्तन माहि आज छा गई,
बागां की बहार।
दादी नाचण दे।
 


दादी नाचण दे BY - ATUL KRISHNA VRINDAWAN
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