शिव ने कैसे धारण किया नाग को गले का हार Shiv Wear Snake Around Neck in Hindi
भगवान शिव, जो त्रिनेत्र धारी हैं, शिव जी के सिर पर गंगा और चंद्रमा शोभित हैं। उनकी लंबी-लंबी जटाएं हैं और उनसे गंगा निकलती है जिनका शरीर बाघ की छाल से ढका रहता है। उनके गले में रुद्राक्ष की माला और एक सांप विराजमान है। वे डमरू की धुन पर नृत्य करते हैं और उनका शस्त्र त्रिशूल है। उनका पसंदीदा भोग खीर और भांग होता है। गले में शिव के नाग देवता विराजमान हैं। दुनिया भर में भगवान शिव के परम भक्त हैं। उनके लिए शिवरात्री और नागपंचमी का विशेष महत्त्व है। नागपंचमी पर नागों की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। आज के इस लेख में हम जानेंगे की शिव के गले में नाग हार के रूप में कब और कैसे विराजमान हुआ, कैसे नाग शिव के गले का हार बन गया। श्रावण मास में आइये जान लेते हैं इस कथा के बारे में। 21 अगस्त 2023 का दिन विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि इस बार नाग पंचमी सावन सोमवार को है. शिव के गले का आभुषण है नाग देवता, और ऐसे में नागपंचमी पर जो की सोमवार को है, की पूजा करने पर शिव और नाग देवता दोनों की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
कैसे शिव के गले में हार बना नाग ? Lord Shiv and Vashuki Nag story
वासुकी नागलोक का राजा हैं, और वे शुरू से ही शिव के परम भक्त थे। प्राचीन मान्यता है की वर्तमान में हम जिस शिव लिंग की पूजा करते हैं उसे सबसे पहले नाग जाती के लोगों ने ही शुरू किया था। नागों के कुल पांच थे, शेषनाग, अनंत, वासुकी, तक्षक, पिंगला और कर्कोटक। समुद्र मंथन में भी वासुकी नाग ने ही रस्सी के रूप में मेरू पर्वत के चारों और लपेटकर मंथन किया। शिव जी वासुकी की भक्ति से बहुत खुश थे और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर ही उन्होंने वासुकी को अपने गणों में शामिल किया था।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने विष पी लिया, तो नाग वासुकी ने भी उनके साथ विष ग्रहण किया. वासुकी एक अत्यंत विषैला सांप था, लेकिन विष का उस पर कोई असर नहीं हुआ. इसी से भगवान शिव वासुकी की भक्ति से प्रसन्न हुए और वासुकी नाग को अपने गले का आभूषण बना लिया।
वासुकी नाग की एक कहानी और प्रमुख महत्त्व रखती है जिसमें वर्णन प्राप्त होता है की जब वासुदेव कान्हा को कंस की जेल से चुपचाप गोकुल ला रहे थे, तो रास्ते में उन्हें तेज बारिश और यमुना के तुफान का सामना करना पड़ा. वासुदेव बहुत घबराए हुए थे, लेकिन तभी वासुकी नाग प्रकट हुआ और उसने कान्हा/कृष्ण के ऊपर अपने विशाल फन से छतरी बना कर उनकी रक्षा की. वासुकी नाग ने कान्हा को यमुना के तुफान से सुरक्षित बचाया और उसे गोकुल पहुंचा दिया, इस प्रकार से वासुकी का सम्बन्ध श्री कृष्ण जी से भी स्थापित किया गया है.
शिव और नाग का अटूट संबंध
भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है, सर्पों की तरह विषैले, भयानक और विरोधी भाव वाले जीवों के साथ भी उनका संयम और सामंजस्यी रिश्ता स्थापित करने में समर्थ हैं। कथाएँ कहती हैं कि भोलेनाथ ने एक बार एक सांप को गले में लपेटकर उसका संदेश दिया कि दुर्जन भी यदि सच्चे मन से अच्छे काम करें, तो भगवान उनके प्रति भी सहानुभूति दिखाते हैं और उनकी मार्गदर्शन करते हैं।
वासुकी भगवान शिव का सबसे प्रिय भक्त है. वह एक विशाल और शक्तिशाली नाग है, जो भगवान शिव के गले में लिपटा रहता है. वासुकी को भगवान शिव के आशीर्वाद से अमरता प्राप्त है. वह भगवान शिव के गले में आभूषण की तरह से दिखाई देते हैं, इस बात का प्रमाण नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है, जो गुजरात के भरूच जिले में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग का नाम वासुकी के नाम पर रखा गया है. कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन किया था, तो वासुकी ने रस्सी का काम किया था. इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से नागों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है.
कुण्डलिनी नियंत्रण का प्रतीक
भगवान शिव को आदि गुरु माना जाता है. उन्होंने ही अपने प्रिय भक्तों को तंत्र साधना और ईश्वर को पाने का मार्ग प्रशस्त किया है. भगवान शिव में साधना से कुण्डलिनी शक्ति को नियंत्रित कर लेने की शक्ति है, जिसका प्रतीक उनके गले में लिपटे हुए वासुकी नाग को माना गया है. भगवान शिव सर्प जैसे विषैले, भयानक और विरोधी भाव वाले जीव के साथ भी अपना बना लेते हैं। इसके अलावा भगवान शिव ने सांप को गले में लपेटकर यह भी संदेश दिया है कि दुर्जन भी अगर अच्छे काम करें, तो ईश्वर उसे भी प्रेम स्वरुप ग्रहण करते हैं।
कैसे उत्पत्ति हुई नागों की
पुराणों के अनुसार, सभी नागों की उत्पत्ति ऋषि कश्यप और कद्रू की संतान के रूप में हुई थी. कद्रू ने हजारों नागों को जन्म दिया था, जिनमें से कुछ प्रमुख नाग थे: अनंत, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख, पिंगला और कुलिक. अनंत को विष्णु भगवान का आसन माना जाता है, जबकि वासुकी को भगवान शिव का गला धारण करने वाला नाग माना जाता है. तक्षक को भगवान कृष्ण का घोर शत्रु माना जाता है, जबकि कर्कोटक को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है. पद्म को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जबकि महापद्म को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. शंख को भगवान शिव का धनुष माना जाता है, जबकि पिंगला को भगवान शिव का बाण माना जाता है. कुलिक को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है.
शिव के गले में लिपटे हैं वासुकी नाग
वासुकी नाग भगवान शिव का सबसे प्रिय भक्त है. वह एक विशाल और शक्तिशाली नाग है, जो भगवान शिव के गले में लिपटा रहता है. वासुकी को भगवान शिव के आशीर्वाद से अमरता प्राप्त है. वह भगवान शिव के साथ हमेशा रहता है और उनकी रक्षा करता है.
वासुकी नाग की कथा पुराणों में मिलती है. कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन किया था, तो वासुकी ने रस्सी का काम किया था. वासुकी नाग ने भगवान शिव को अपना गला दान कर दिया था, ताकि वे समुद्र मंथन कर सकें. भगवान शिव ने वासुकी नाग को अमरता का वरदान दिया था और उन्हें अपने गले में धारण कर लिया था.
वासुकी नाग को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. वह ज्ञान, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है. वासुकी नाग की पूजा भारत के कई हिस्सों में की जाती है. नाग पंचमी का त्योहार वासुकी नाग की पूजा का एक प्रमुख त्योहार है. यह त्योहार हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. इस दिन लोग वासुकी नाग की पूजा करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त (Nag Panchami 2023 Shubh Muhurat)
नाग पंचमी का त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल नाग पंचमी 21 अगस्त को मनाई जाएगी. नाग पंचमी का पूजा मुहूर्त सुबह 5 बजकर 53 मिनट से लेकर 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इस दिन लोग नागों की पूजा करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
नाग पंचमी पूजन विधि (Nag Panchami Pujan Vidhi)
नाग पंचमी का त्योहार हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. यह दिन नागों की पूजा का दिन है. नागों को हिंदू धर्म में देवता माना जाता है और वे ज्ञान, शक्ति और समृद्धि के प्रतीक हैं. नाग पंचमी के दिन लोग नागों की पूजा करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
नाग पंचमी की पूजा विधि इस प्रकार है:
- सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
- पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी पर नाग की मूर्ति या चित्र रखें.
- नाग को हल्दी, रोली, चावल, फूल और धूप अर्पित करें.
- नाग को कच्चा दूध, घी और चीनी मिलाकर पिलाएं.
- नाग की आरती करें.
- नागों की कथा सुनें.
- पूजा के बाद प्रसाद बांटें.
नाग पंचमी की पूजा के कुछ विशेष लाभ हैं:
- नागों की पूजा से नागों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
- नागों की पूजा से ज्ञान, शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है.
- नागों की पूजा से सर्पदंश से बचाव होता है.
- नागों की पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
नाग पंचमी के दिन भूलकर न करें ये काम (Nag Panchami Dos and Donts)
नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर साल सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन लोग नागों की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. नाग पंचमी के दिन कुछ काम करना अशुभ माना जाता है, जबकि कुछ काम करना शुभ माना जाता है.
नाग पंचमी के दिन भूलकर न करें ये काम:
- भूमि की खुदाई करना या खेत में हल चलाना.
- नुकीली और धारदार वस्तुओं का इस्तेमाल करना, जैसे कि सूई-धागा.
- चूल्हे पर खाना बनाने के लिए तवा और लोहे की कढ़ाही का उपयोग करना.
- किसी के लिए अपने मुख से कोई गलत शब्द न निकालें.
- नागों को देखकर उन्हें भगाना या मारना.
- नागों को नुकसान पहुंचाना.