ज़रा तो सोच ऐ प्राणी तू इस दुनिया में

ज़रा तो सोच ऐ प्राणी तू इस दुनिया में क्यों आया

ज़रा तो सोच ऐ प्राणी,
तू इस दुनिया में क्यों आया,
तेरा यह जन्म व्यर्था गर,
नहीं अपना प्रभु ध्याया।

परिवार धन सारा,
यह मिथ्या पसारा,
यह साथ नहीं जाना,
बना मत प्यारा,
तू खाली हाथ जायेगा,
तू खाली हाथ है आया।

यह अरज़ी बसेरा,
जिसे कहे तू मेरा,
सदा नहीं यह रहना,
दो दिन का है डेरा,
नहीं स्थिर रहने वाली यह,
बड़ी चंचल है यह माया।

तू कर सत्संग,
चढ़े भक्ति का रंग,
तुझे सन्त बतावें,
नाम जपने का ढंग,
हरि सुमिरण की महिमा को,
तो मुनियों ने भी है गाया।
 
जो भक्ति से फेरें,
वे शत्रु है तेरे,
मोह जाल को बखेरे,
मतलबी घनेरे,
यह मोह ममता का,
सुन्दर जाल,
है माया ने फैलाया।

न बन अनजाना,
तू है बड़ा सयाना,
तू भक्ति कमा ले,
प्रभु को ध्याना,
यह सब सन्तों ने फ़रमाया,
है मिथ्या माया और काया।
 



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