मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की,
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की,
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की,
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की।
गंगा तट पर होकर प्यासा,
चाह भक्ति रस वर्षन की,
सूखे हैं सब योगी ज्ञानी मुनि,
आस भक्ति पद घर्षण की,
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की,
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की।
दे दो भक्ति विमल दयामय,
नाथ रुप आकर्षण की,
राम सुधाकर हो मन नभ के,
इच्छा है अब ना रसन की,
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की,
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की।
Prabhu Darshan | प्रभु दर्शन | Hindi bhajan | Divya Jain
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