भोले तेरी भक्ति का अपना ही
सूर्य षष्ठी व्रत कथा पूजा विधि महत्त्व फायदे
सूर्य षष्ठी व्रत कथा Surya Shashthi Vrat Katha
सूर्य षष्ठी व्रत कथा Surya Shashthi Vrat Katha
प्राचीन समय की बात है। बिंदुसार तीर्थ में महिपाल नाम का एक वणिक रहता था। महिपाल धर्म, कर्म और देवताओं का विरोध करता था। एक बार महिपाल ने सूर्य भगवान की प्रतिमा के सामने मल मूत्र का त्याग किया। परिणाम स्वरुप उनकी आंखों की ज्योति चली गई। इसके बाद वह अपने जीवन से दुखी होकर गंगा जी में डुब कर मर जाने के लिए चला गया।रास्ते में उसको महर्षि नारद जी मिले। नारद जी उसे पूछने लगे कि आप इतना जल्दी-जल्दी किधर जा रहे हैं। तो महिपाल ने कहा कि मेरा जीवन जीना दुभर हो गया है। मैं अंधा हो गया हूं। यह कहकर वह रोने लगा और उसने बताया कि वह अपनी जान देने के लिए गंगा मैया में कूदने जा रहा है। नारद मुनि बोले की ही मूर्ख प्राणी तेरी यह दशा भगवान सूर्य देव के कारण हुई है।
इसलिए तुम्हें कार्तिक माह की सूर्य षष्ठी का व्रत रखना चाहिए। सूर्य षष्ठी का व्रत रखने से तुम्हारे सारे संकट दूर हो जाएंगे। वणिक ने भगवान नारद की बात मानी और उसने कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य षष्ठी व्रत किया। ऐसा करने पर वणिक को अपनी दृष्टि वापस मिल गई। तथा वह सुख समृद्धि पूर्ण दिव्य ज्योति प्राप्त कर स्वर्ग का अधिकारी बन गया। सूर्य देव की शक्ति का उल्लेख वेदों, पुराणों और योग शास्त्र आदि में विस्तार से किया गया है। सूर्य देव को जीवन का आधार माना जाता है। उनकी किरणों से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है।
सूर्य देव की उपासना सर्वदा शुभ फलदायी होती है। सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में सभी तरह के सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति सदा दुख एवं संताप से मुक्त रहता है। इस दिन सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं और वह सुखमय जीवन जीता है।
सूर्य षष्ठी का क्या है महत्व, मुहूर्त और मंत्र
छठ पर्व दो दिनों तक चलता है। पहले दिन, अस्ताचल सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन व्रती महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए नदी या तालाब में जाती हैं। दूसरे दिन, उदीयमान सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन भी व्रती महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए नदी या तालाब में जाती हैं। छठ पर्व एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है। यह पर्व परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और समृद्धि को बढ़ावा देता है।
छठ पर्व के महत्व के बारे में कुछ अन्य तथ्य निम्नलिखित हैं:
- छठ पर्व को सूर्य देव की उपासना के लिए समर्पित किया जाता है। सूर्य देव को जीवन का स्रोत माना जाता है।
- छठ पर्व को एक महिलाओं का पर्व माना जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं अपने परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं।
- छठ पर्व को एक पवित्र और शुभ पर्व माना जाता है। यह पर्व परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और समृद्धि को बढ़ावा देता है।
भगवान सूर्यदेव ने विश्वामित्र की प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें गायत्री मंत्र की शिक्षा दी। विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र का जाप किया और उन्हें वेदमाता गायत्री के दर्शन हुए। वेदमाता गायत्री ने उन्हें ज्ञान और विवेक की शक्ति प्रदान की। इस कथा से यह पता चलता है कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भगवान सूर्यदेव की आराधना करने से वेदमाता गायत्री प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को ज्ञान और विवेक की शक्ति प्रदान करती हैं।
यह कथा बिहार और पूर्वांचल के लोगों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। इस दिन बिहार और पूर्वांचल के लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और गायत्री मंत्र का जाप करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भगवान सूर्यदेव की आराधना करने से वेदमाता गायत्री प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को ज्ञान और विवेक की शक्ति प्रदान करती हैं।
इस कथा के अनुसार, एक बार राजऋषि विश्वामित्र ने ब्रह्मर्षि वशिष्ठ से गायत्री मंत्र की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की। ब्रह्मर्षि वशिष्ठ ने उन्हें गायत्री मंत्र की शिक्षा दी, लेकिन विश्वामित्र को मंत्र का जाप नहीं आ रहा था। उन्होंने भगवान सूर्यदेव की आराधना की और उन्हें गायत्री मंत्र की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की।
भगवान सूर्यदेव ने विश्वामित्र की प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें गायत्री मंत्र की शिक्षा दी। विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र का जाप किया और उन्हें वेदमाता गायत्री के दर्शन हुए। वेदमाता गायत्री ने उन्हें ज्ञान और विवेक की शक्ति प्रदान की। इस कथा से यह पता चलता है कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भगवान सूर्यदेव की आराधना करने से वेदमाता गायत्री प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को ज्ञान और विवेक की शक्ति प्रदान करती हैं।
इस कथा में, "गद्य यजुष" का अर्थ है एक मंत्र जो गद्य में होता है, लेकिन पद्य की तरह गाया जाता है। वेदमाता गायत्री को वेदमाता होने का गौरव इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि वे एक गद्य यजुष हैं। यह कथा बिहार और पूर्वांचल के लोगों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। इस दिन बिहार और पूर्वांचल के लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और गायत्री मंत्र का जाप करते हैं। यह कथा हमें यह भी बताती है कि ज्ञान और विवेक की शक्ति प्राप्त करने के लिए भगवान सूर्यदेव की आराधना करना आवश्यक है।
- सत्यनारायण व्रत में क्या खाना चाहिए Satyanarayan Ke Vrat Me Khya Khayen
- नागपंचमी कथा कहानी महत्त्व पूजा विधि Nagpanchmi Katha Puja aur Mahatva
- सत्य नारायण की कहानी (व्रत कथा ) Satya Narayan Ki Vrat Katha
- नवरात्रि महत्त्व क्या है नवरात्रि का अर्थ और महत्व Significance of Navratri
- चौथ की कथा ( चौथ माता कहानी) Chouth Katha Chouth Mata Ki Kahani Hindi
- बड़सायत की कहानी Badsayat Ki Kahani (Badsayat Story)
सूर्य षष्ठी मंत्र
- ॐ ह्रीं घृणि सूर्य आदित्य: श्रीं ह्रीं मह्यं लक्ष्मीं प्रयच्छ'
- ॐ सूर्याय नम:।
- ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
- ॐ घृणि सूर्याय नम:।
- ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
सूर्य षष्ठी व्रत का महत्त्व/फायदे
- गंगा स्नान का महत्व: पुराणों के अनुसार, षष्टि के दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- एक समय का बिना नमक का भोजन: षष्टि के दिन एक समय का बिना नमक का भोजन करने से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।
- भगवान सूर्यदेव की प्रसन्नता: षष्टि के दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और आरोग्य प्रदान करते हैं।
- सूर्य जैसा तेज: सूर्य षष्ठी के दिन पूरे मन से सूर्यदेव की आराधना करने वाले व्यक्ति को सूर्य जैसा तेज प्राप्त होता है।
- नेत्र रोगियों के लिए लाभकारी: सूर्य षष्ठी व्रत करने से नेत्र रोगियों को फायदा होता है।
- सूर्य देवता का पूजन: सूर्य षष्ठी पर्व पर सूर्य देवता का पूजन करने की विशेष मान्यता है।
- संतान की रक्षा: मान्यतानुसार सूर्य षष्ठी व्रत संतानों की रक्षा करके उन्हें स्वस्थ एवं दीघार्यु बनाता हैं।
- सूर्य को गुरु मानना: पौराणिक शास्त्रों में भगवान सूर्य को गुरु भी कहा गया है। हनुमान जी ने सूर्य से ही शिक्षा ग्रहण की थी।
- कुष्ठ रोग से मुक्ति: श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब को जब कुष्ठ रोग हो गया था, तब उन्होंने सूर्यदेव की उपासना करके कोढ़ रोग से मुक्ति पाई थी।
इनके अतिरिक्त, षष्टि के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से निम्नलिखित लाभ भी प्राप्त होते हैं:
- आर्थिक उन्नति: षष्टि के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है और वह आर्थिक रूप से समृद्ध होता है।
- कार्य सिद्धि: षष्टि के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध होते हैं और उसे सफलता प्राप्त होती है।
- रोगों से मुक्ति: षष्टि के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से व्यक्ति के सभी रोग दूर होते हैं और वह स्वस्थ रहता है।
- आयुष्य की वृद्धि: षष्टि के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से व्यक्ति की आयुष्य में वृद्धि होती है।
Surya Shashti Vrat Ke Niyam सूर्य षष्ठी व्रत में क्या ना करें
सूर्य षष्ठी व्रत एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान सूर्य को समर्पित है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को आरोग्य, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। सूर्य षष्ठी व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। इन नियमों का उल्लंघन करने से व्रत का लाभ प्राप्त नहीं होता है।
सूर्य षष्ठी व्रत में क्या नहीं करना चाहिए, इसके कुछ नियम निम्नलिखित हैं:
- सूर्यास्त से पहले भोजन नहीं करना चाहिए। सूर्य षष्ठी व्रत के दौरान व्रती को सूर्यास्त से पहले भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन केवल पानी, फल और दूध का सेवन करना चाहिए।
- नमक युक्त भोजन नहीं करना चाहिए। सूर्य षष्ठी व्रत के दौरान व्रती को नमक युक्त भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन केवल बिना नमक का भोजन करना चाहिए।
- अश्लील विचारों और कार्यों से बचना चाहिए। सूर्य षष्ठी व्रत के दौरान व्रती को अश्लील विचारों और कार्यों से बचना चाहिए। इस दिन पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।
- झूठ नहीं बोलना चाहिए। सूर्य षष्ठी व्रत के दौरान व्रती को झूठ नहीं बोलना चाहिए। इस दिन सत्य बोलने का प्रयास करना चाहिए।
- अन्य जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। सूर्य षष्ठी व्रत के दौरान व्रती को अन्य जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। इस दिन सभी प्राणियों के प्रति दया भाव रखना चाहिए।
सूर्य षष्ठी का महत्व Importance of Surya Shashti Vrat
सूर्य षष्ठी एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान सूर्य को समर्पित है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को आरोग्य, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। सूर्य षष्ठी का महत्व निम्नलिखित है:
- आरोग्य लाभ: सूर्य को प्राचीन ग्रंथों में आत्मा एवं जीवन शक्ति के साथ साथ आरोग्यकारक माने गए हैं। सूर्य की किरणें शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं और बीमारियों को दूर करती हैं। सूर्य षष्ठी व्रत रखने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभ होता है।
- पुत्र प्राप्ति: सूर्य षष्ठी को पुत्र प्राप्ति के लिए भी एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास से रखने पर संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
- सौभाग्य और समृद्धि: सूर्य षष्ठी व्रत रखने से व्यक्ति को सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। सूर्य को धन और समृद्धि का कारक माना जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि आती है।
- शरीर स्वस्थ रहता है।
- मन शांत और प्रसन्न रहता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
- संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
- व्रत करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
- व्रती को सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
- व्रती को भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए।
- व्रती को पूरे दिन नमक रहित भोजन करना चाहिए।
- व्रती को किसी भी प्रकार का अश्लील या अपवित्र कार्य नहीं करना चाहिए।
षष्ठी तिथि क्या होती है ?
षष्ठी तिथि एक हिंदू पंचांग की तिथि है जो चंद्रमा की पाँचवीं कला का प्रतिनिधित्व करती है। षष्ठी तिथि को नंदा तिथि भी कहा जाता है। षष्ठी तिथि को कई धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
षष्ठी तिथि का धार्मिक महत्व
षष्ठी तिथि को कई हिंदू देवताओं और देवी-देवताओं को समर्पित किया गया है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है। इसके अलावा, षष्ठी तिथि को भगवान शिव, कार्तिकेय, गणेश, और लक्ष्मी की पूजा के लिए भी शुभ माना जाता है।
षष्ठी तिथि का सांस्कृतिक महत्व
षष्ठी तिथि को कई हिंदू त्योहारों और अनुष्ठानों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। उदाहरण के लिए, कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है। इसके अलावा, षष्ठी तिथि को नवरात्रि के दौरान भी महत्वपूर्ण माना जाता है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है।
षष्ठी तिथि की पूजा
षष्ठी तिथि को कई हिंदू देवताओं और देवी-देवताओं की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन, लोग अक्सर मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा, लोग अक्सर घर पर भी पूजा करते हैं। षष्ठी तिथि की पूजा में अक्सर फूल, धूप, दीप, और प्रसाद चढ़ाया जाता है।
षष्ठी तिथि के व्रत
षष्ठी तिथि को कई हिंदू त्योहारों के दौरान व्रत रखा जाता है। उदाहरण के लिए, कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व के दौरान व्रत रखा जाता है। छठ पर्व के दौरान, लोग सूर्य देव की पूजा के लिए व्रत रखते हैं। र्य षष्ठी को सूर्य देव की उपासना और व्रत करने से व्यक्ति की समस्त व्याधियां दूर होने लगती हैं। सूर्य चिकित्सा का उपयोग आयुर्वेदिक पद्धति और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता है। सूर्य देव की किरणों में रोगों को दूर करने की क्षमता होती है। इसलिए, सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
सूर्य षष्ठी के दिन सूर्य पूजन से व्यक्ति के मान सम्मान में भी वृद्धि होती है और व्यक्ति के जीवन से किसी भी प्रकार का कलंक दूर हो जाता है। सूर्य देव को न्याय का देवता माना जाता है। इसलिए, सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में न्याय और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- नाग पंचमी कब है? जानें सही तारीख, मुहूर्त Nag Panchami 2023 Date Shubh Mhurt
- नाग पंचमी को भूलकर भी न बनाएं रोटियां Naagpanchmi Ko Kya Kare Kya Nahi
- श्री कृष्ण जी का चरणामृत बिना तुलसी के अधूरा क्यों है? कहानी क्या है Krishna Charanamrit Tulasi Importance
- श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी है तुलसी के बिना Shri Krishna Tulasi Charanamrit Importance Hindi
- कब है अधिकमास अमावस्या जानें दिन शुभ मुहूर्त और पूजन विधि Adhikmas Avavasya Date Shubh Muhurt, Pujan Vidhi
- अमावस्या क्या है, महत्त्व क्या करे क्या नहीं Amavasya, importance, Secret in Hindi
षष्ठी तिथि के ज्योतिष महत्व
षष्ठी तिथि को कई ज्योतिषीय मान्यताओं से भी जोड़ा जाता है। ज्योतिषियों का मानना है कि षष्ठी तिथि को कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है। इसके अलावा, ज्योतिषियों का मानना है कि षष्ठी तिथि को व्यापार और नौकरी के लिए भी शुभ माना जाता है। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन श्रद्धालुओं द्वारा भगवान सूर्य का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को सूर्य षष्ठी व्रत या छठ पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
सूर्य प्राचीन ग्रंथों में आत्मा एवं जीवन शक्ति के साथ साथ आरोग्यकारक माने गए हैं। सूर्य देव की किरणों में रोगों को दूर करने की क्षमता होती है। इसलिए, सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। पुत्र प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का महत्व अत्यधिक बताया गया है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत का पूर्ण रूप से पालन करता है उसकी संतान या होने वाली संतान को कभी भी कोई रोग नहीं जकड़ता और उसका व्यक्तित्व तेज से परिपूर्ण होता है।
षष्ठी तिथि के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- षष्ठी तिथि को नंदा तिथि भी कहा जाता है।
- षष्ठी तिथि को कई हिंदू देवताओं और देवी-देवताओं को समर्पित किया गया है।
- षष्ठी तिथि को कई हिंदू त्योहारों और अनुष्ठानों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
- षष्ठी तिथि को कई ज्योतिषीय मान्यताओं से भी जोड़ा जाता है।
Surya Chhath Vrat Aur Pujan Ki Vidhi सूर्य षष्ठी व्रत एवं पूजन की विधि
सूर्य षष्ठी व्रत एवं पूजन की विधि सूर्य षष्ठी (Surya Shashti) पर भगवान सूर्य की पूजा की जाती हैं। इस दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व होता हैं। अगर सम्भव हो तो साधक को इस दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिये। ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती हैं।
पूजा सामग्री
- ताँबे का कलश
- जल
- चावल
- लाल फूल
- गुलाल
- लाल वस्त्र
- दीपक
- गायत्री मंत्र
- आदित्यहृदयस्त्रोत्र
पूजा विधि
- प्रात:काल जल्दी उठकर स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सूर्योदय के समय ताँबे के कलश से भगवान सूर्य को जल चढ़ायें। जल चढ़ाते समय गायत्री मंत्र का जाप करते रहें। अपनी जगह पर खड़े-खड़े ही तीन बार घूमकर परिक्रमा करें।
- दीपक जलाकर भगवान सूर्य की ओर रोली के छींटे मारकर चावल चढ़ायें। तत्पश्चात उन्हे कनेर का लाल फूल चढ़ायें, गुलाल चढ़ायें और लाल वस्त्र अर्पित करें।
- आदित्यहृदयस्त्रोत्र का पाठ करें।
- दिन में एक ही बार भोजन करें और वो भी सूर्यास्त से पहलें। इस दिन बिना नमक का भोजन ग्रहोती है।
पूजन के लाभ
सूर्य षष्ठी व्रत करने से साधक को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती हैं।
- संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती हैं।
- रोगों से मुक्ति मिलती हैं।
- धन-धान्य की प्राप्ति होती हैं।
- जीवन में सुख-समृद्धि आती हैं।
सूर्य षष्ठी व्रत करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:
- इस दिन गंगा स्नान करना चाहिए।
- व्रत के दौरान बिना नमक का भोजन करना चाहिए।
- इस दिन झूठ बोलना, चोरी करना, क्रोध करना, किसी को दुख पहुँचाना जैसे सभी बुरे कार्यों से बचना चाहिए।
सूर्य षष्ठी व्रत एक महत्वपूर्ण व्रत हैं। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से साधक को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए बहुत ही लाभदायक माना जाता हैं। इस दिन व्रत करने से साधक को संतान सुख की प्राप्ति होती हैं।
सूर्य देव को जीवन का आधार माना जाता है। उनकी किरणें हमें जीवन देती हैं और ऊर्जा प्रदान करती हैं। सूर्य देव की उपासना से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभ होता है। सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें। |