पितर जी पधारया म्हारे आंगणिया लिरिक्स Pitar Ji Padharaya Mhare Aanganiya Lyrics

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक के 16 दिनों को पितृ पक्ष कहा जाता है। इस अवधि को पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित किया जाता है। लोग अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना और अनुष्ठान करते हैं। वे पितरों के लिए भोजन और पानी का अर्पण करते हैं, और उन्हें पितृलोक में शांति और खुशी प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। श्राद्ध - श्राद्ध एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें पितरों के लिए भोजन और पानी का अर्पण किया जाता है। श्राद्ध आमतौर पर किसी पवित्र नदी या तालाब के किनारे किया जाता है।
पिंडदान - पिंडदान एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें पितरों को आटे और चावल के पिंड अर्पित किए जाते हैं। पिंडदान आमतौर पर किसी पवित्र स्थान पर किया जाता है। तर्पण - तर्पण एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें पितरों को जल का अर्पण किया जाता है। तर्पण आमतौर पर किसी पवित्र स्थान पर किया जाता है।
पितृ पक्ष एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो पितरों के साथ संबंधों को बनाए रखने और उन्हें सम्मान देने का एक तरीका है। श्राद्ध के माध्यम से, लोग अपने पूर्वजों की आत्माओं को शांति और खुशी प्रदान करते हैं।

पितृ पक्ष के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों से पितरों की आत्माओं को शांति और मोक्ष मिलता है।
पितृ पक्ष के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों से पितर अपने वंशजों का आशीर्वाद देते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों से वंशजों को सुख, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।
पितृ पक्ष एक ऐसा अवसर है जब हम अपने पूर्वजों को याद कर सकते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। यह एक ऐसा समय है जब हम अपने पूर्वजों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सकते हैं और उन्हें आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

Naye Bhajano Ke Lyrics

पितर जी पधारया म्हारे आंगणिया लिरिक्स Pitar Ji Padharaya Mhare Aanganiya Lyrics

मैं तो पग पग फुलड़ा बिछाऊं
म्हारी माँ म्हारी माँ,
पितर पधारयां म्हारे आंगणिया
पितर जी पधारयां म्हारे आंगणिया।

कपिला गाय को गोबर मंगास्यां,
ता बिच अँगना लेप लिपास्यां,
म्हें तो मोतियन चौक पुरावां,
म्हारी माँ पितर जी,
पधारयां म्हारे आंगणिया।

गंगा जी से जल मंगवास्या,
पितरां ने स्नान करास्यां,
पाँचू ही कपड़ा पहनावां म्हारी मां,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगणिया।

कपिला गाय को दूध मंगास्यां,
ता बिच उजली खीर रधास्या,
पितरां ने खीर जिमास्यां म्हारी मां,
कपिला गाय को गोबर मंगास्यां,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगणिया।

धन चौदस की रात जगास्यां,
पितरां ने पाटे बैठ्यासा,
मावस ने भोग लगास्यां म्हारी मां,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगणिया।

दास गोपाल की याही छै विनती,
सब भक्तां की याही छै विनती,
पितरां ने गाय रिझास्या म्हारी माँ,
की याही छै विनती,
मैं पग पग फुलड़ा बिछाऊं मेरी माय,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगणिया।

मैं तो पग पग फुलड़ा बिछाऊं,
म्हारी माँ म्हारी माँ,
पितर पधारयां म्हारे आंगणिया,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगणिया।
 



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