ऋषि मुनियों की इस धरती को शत शत मेरा प्रणाम

ऋषि मुनियों की इस धरती को शत-शत मेरा प्रणाम

ऋषि-मुनियों की इस धरती को शत-शत मेरा प्रणाम,
यहां पे जन्मे कृष्ण कन्हैया, यहां पे जन्मे राम।।
जिनके पावन चरणों ने इस धरती को है तारा,
प्यारा देश हमारा, भारत देश हमारा।।

यहां गंगा, यमुना, कावेरी, सतलुज की धारा बहती,
तुलसी, सूर, कबीर की यादें कण-कण में हैं बसती।।
यह अपना वतन और अपनी मिट्टी, स्वर्ग से भी है न्यारा,
प्यारा देश हमारा, भारत देश हमारा।।

भेष, भाषा, धर्म यहां मिलते हैं अनेक,
बिंदुओं में बंटे मगर फिर भी हम हैं एक।।
यहां देश-धर्म की रक्षा खातिर, कितनों ने जीवन वारा,
प्यारा देश हमारा, भारत देश हमारा।।

यहां रात में हर मां बच्चे को लोरी रोज सुनाए,
प्यार की थपकी देकर, आंचल की छांव में सुलाए।।
यहां मां के लिए उनके बेटे जैसे कोई चांद-सितारा,
प्यारा देश हमारा, भारत देश हमारा।।

पूरब हो, पूर्वांचल क्या, है उत्तर, उत्तराखंड,
इसका मतलब और न सोचो, भारत ये है अखंड।।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक, यहां दिखता भाईचारा,
प्यारा देश हमारा, भारत देश हमारा।।

Rishi Muniyon Ki Is Dharti Ko - Puran Shiva | Audio | Bhajan 

यह भजन भारत की महान संस्कृति, संत परंपरा, प्राकृतिक सुंदरता और एकता की भावना को दर्शाता है। इसमें भारत के महान ऋषियों, पवित्र नदियों और संतों की महिमा का वर्णन किया गया है। भजन में देश की विविधता और अखंडता को रेखांकित करते हुए, इसे स्वर्ग से भी श्रेष्ठ बताया गया है। यह गीत मातृभूमि की रक्षा के लिए किए गए बलिदानों का सम्मान करता है और राष्ट्रीय एकता का संदेश देता है। भारत की भूमि को पवित्र बताते हुए, इसमें देश प्रेम और राष्ट्र भक्ति की भावना को जाग्रत किया गया है।

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