जो उगै सो आथवै फूले सो कुम्हिलाय हिंदी अर्थ कबीर के दोहे

जो उगै सो आथवै फूले सो कुम्हिलाय हिंदी अर्थ Jo Uge So Aathve Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth / Bhavarth Sahit

जो उगै सो आथवै, फूले सो कुम्हिलाय |
जो चुने सो ढ़हि पड़ै, जनमें सो मरि जाय ||
 
Jo Uge So Aathve, Phule So Kumhlay,
Jo Chune So Dhai Pade, Janame So Mari Jay.
 
जो उगै सो आथवै फूले सो कुम्हिलाय हिंदी अर्थ Jo Uge So Aathve Meaning 
 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

जो उगता है वह ढलता भी है, जो आज पुष्पित हैं वे कल कुम्हला जाएगा, जो ऊँचे ऊँचे महल मालिया बनाएं हैं वे कल ढह जाएगा। जो आज जन्म लेता है वह कल मर जाएगा। आशय है की मनुष्य के द्वारा जो भी रचित होता है उसका कोई स्थाईत्व नहीं होता है। अतः जीवात्मा को कभी भी स्वंय पर अहम् नहीं करना चाहिए और हरी की भक्ति करनी चाहिए। सभी एक रोज विनाश को प्राप्त होंगे ऐसे में वे स्वंय के लिए एक सम्मान जनक स्थान का निर्माण कर सकते हैं। कबीर दास जी के इस दोहे का मूल भाव यह है कि इस संसार में सब कुछ नश्वर है। जो कुछ भी उत्पन्न होता है, वह एक दिन नष्ट हो जाता है। कबीर साहेब कहते हैं कि जो पौधा उगता है, वह एक दिन सूखकर गिर जाता है। जो फूल खिलता है, वह एक दिन मुरझा जाता है। जो घर बनाया जाता है, वह एक दिन टूट जाता है। और जो मनुष्य जन्म लेता है, वह एक दिन मर जाता है, अतः हरी की भक्ति ही स्थाई है.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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