ऊँचे कुल की जनमिया करनी ऊँच न होय हिंदी मीनिंग
ऊँचे कुल की जनमिया, करनी ऊँच न होय |
कनक कलश मद सों भरा, साधु निन्दा कोय ||or
ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँच न होइ ।
सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदै सोइ ।।
Unche Kul Ka Janamiya, Karani Unch Na Hoy,
Kanak Kalash Mad So Bhara, Sadhu Ninda Koy.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
जाती और कुल के विषय में
कबीर साहेब का सन्देश है की ऊँचे कुल, ऊँची जाती में यदि कोई जन्म लेता है तो भी वह ऊँचा नहीं हो सकता है। कर्म ही व्यक्ति को श्रेष्ठ या नीच बना सकते हैं जाती या कुल नहीं। करनी/कर्म व्यक्ति के ऊँचे होने चाहिए। यदि सोने का कलश शराब से भरा हुआ है तो वह कलश एक साधू के लिए निंदा का विषय है, भले ही कलश सोने जैसे अमूल्य धातु का बना हुआ है।
संत कबीर दास जी का यह दोहा बहुत ही सार्थक है। इस दोहे में वे कुल के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि कुल से कोई बड़ा नहीं होता है। इस दोहे में, संत कबीर दास जी "ऊँचे कुल की जनमिया, करनी ऊँच न होय" का अर्थ है कि ऊँचे कुल में जन्म लेने से कोई बड़ा नहीं होता है। "कनक कलश मद सों भरा, साधु निन्दा कोय" का अर्थ है कि सोने का घड़ा यदि मदिरा से भरा है, तो वह महापुरुषों द्वारा निन्दित ही है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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