बंसी की धुन पे अपने मोहन से
बंसी की धुन पे अपने मोहन से
न जानूँ में आरती बंधन,न जानूँ पूजा की रीत,
जानूँ तो बस इतना ही जानू,
मेरे श्याम की बंसी,
और राधा की प्रीत।
बंसी की धुन पे,
अपने मोहन से,
देखो राधा चली मिलने,
उसकी पायल बजी छम छम,
गोकुल सारा लगा झूमने।
बहता यमुना जल,
सावन की घटा के संग,
बावरी राधा,
चंचल है उसका मन,
हर पल
बेहता यमुना जल,
सावन की घटा के संग,
बावरी राधा,
चंचल है उसका मन,
हर पल।
बिंदिया चमके चुनर लहरे,
जैसे कली खिली मधुबन में,
बंसी की धुन पे,
अपने मोहन से,
देखो राधा चली मिलने।
मथुरा में मोहन,
गोकुल में है गोपाल,
डाकोर के रणछोड़,
वृंदावन के हो तुम नंद लाल,
मथुरा में मोहन,
गोकुल में है गोपाल,
डाकोर के रणछोड़,
वृंदावन के हो,
तुम नंद लाल।
बंसी बजाई राधा आई,
राधे श्याम मिले कृष्ण कुंज में,
बंसी की धुन पे अपने मोहन से,
देखो राधा चली मिलने।
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