मेरी अर्ज तेरे दरबार माँ लिरिक्स Meri Arj Tere Darbar Lyrics


Naye Bhajano Ke Lyrics

मेरी अर्ज तेरे दरबार माँ लिरिक्स Meri Arj Tere Darbar Lyrics

मेरी अर्ज तेरे दरबार माँ,
तू सुन ले मेरी पुकार माँ,
मैं खड़ी तेरे चरनों में माँ,
अब कर दे बेड़ा पार माँ,
मेरी अर्ज तेरे दरबार माँ,
तू सुन ले मेरी पुकार माँ।

तूने भक्तों का उद्धार किया,
हर विपदा से है पार किया,
लाखों के कष्ट निवारे हैं,
तूने सब को दिए सहारे हैं,
मेरी नाव फंसी मझधार माँ,
तू कर दे इसको पार माँ,
मेरी अर्ज तेरे दरबार माँ,
तू सुन ले मेरी पुकार माँ।

तू अनंत ब्रह्मांड स्वामिनी,
तू भुक्ती मुक्ती दायनी,
मैं कैसे तुझे मनाऊँ माँ,
मैं कैसे तुझे रिझाऊँ माँ,
मुझे मैया तेरे सहारा है,
इक तू ही है आधार माँ,
मेरी अर्ज तेरे दरबार माँ,
तू सुन ले मेरी पुकार माँ।

मैंने दोनो भुजा उठाई है,
तेरे नाम की धूनी माँ लगाई है,
इक तेरे नाम पुकारा है,
तूने सबका किया उद्धारा है,
तेरे मंत्र जाप करता रहूँ,
करता रहूँ लगाता माँ,
मेरी अर्ज तेरे दरबार माँ,
तू सुन ले मेरी पुकार माँ।

तू दाती पहाड़ों वाली है,
तू दुनिया की रखवाली है,
तेरे पर्वत पे माँ डेरे हैं,
मुझे कष्टों के पर्वत धेरे हैं,
अब लेले तू अवतार माँ,
मैं मानूंगी आभार माँ,
मेरी अर्ज तेरे दरबार माँ,
तू सुन ले मेरी पुकार माँ।

तू सब के संकट हरती है,
हर विपदा दूर तू करती है,
जो दिल से तुझे पुकारता है,
सब चिंता दूर तू करती है,
मैं भी हूँ तेरा लाल माँ,
चरनों से ना तू विसार माँ,
मेरी अर्ज तेरे दरबार माँ,
तू सुन ले मेरी पुकार माँ।

कई अधम तूने माँ तारे हैं,
जो शरण में आऐ तुम्हारे हैं,
जिस ने भी तुझको याद किया,
तूने उसके काज संवारे हैं,
मैंने दर दर ठोकरे खाई है,
इक तू सच्ची सरकार माँ,
मेरी अर्ज तेरे दरबार माँ,
तू सुन ले मेरी पुकार माँ।
 



MERI ARZ TERE DARBAAR MAA (BY MANINDER JI) MAA VAISHNO DEVI BHAJAN (24TH JAN 2023 PM)

 
यह भजन माता भवानी की महिमा का वर्णन करता है। भक्त अपनी विपदा और कष्टों के बारे में माता से बताते हैं और उनसे मदद की गुहार करते हैं। वे कहते हैं कि माता ने पहले भी कई भक्तों की मदद की है, इसलिए वे भी उनकी मदद करेंगे। भक्त माता को अपना सब कुछ समर्पित करते हैं और उनसे अपने चरणों में रखने की प्रार्थना करते हैं।

भक्त माता से अपनी अर्ज सुनने और मदद करने की प्रार्थना करते हैं।
वे माता की महिमा का वर्णन करते हैं और कहते हैं कि उन्होंने पहले भी कई भक्तों की मदद की है।
भक्त माता को अपना सब कुछ समर्पित करते हैं और उनसे अपने चरणों में रखने की प्रार्थना करते हैं।
भजन का महत्व

यह भजन माता भवानी के प्रति भक्तों की श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है। भक्त माता से अपनी विपदा और कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
अर्थ:
मैं माँ के दरबार में हाथ जोड़कर विनती कर रही हूँ कि वह मेरी पुकार सुनें। मैं माँ के चरणों में खड़ी हूँ और उनसे प्रार्थना कर रही हूँ कि वह मेरी नाव को मझधार से पार कर दें।
दूसरा श्लोक:
तूने अपने भक्तों का उद्धार किया है, हर विपदा से पार किया है। लाखों के कष्ट निवारे हैं, तूने सब को सहारे दिए हैं। मेरी नाव भी मझधार में फंसी है, तू इसे पार कर दे।
अर्थ:
माँ ने अपने भक्तों को हर तरह की मुसीबतों से बचाया है। वह सबकी मदद करती है। मैं भी माँ की भक्त हूँ, इसलिए मैं भी उनकी शरण में हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि वह मेरी भी मदद करेंगी।
तीसरा श्लोक:
तू अनंत ब्रह्मांड की स्वामिनी है, तू भक्ति और मुक्ति देने वाली है। मैं कैसे तुझे मनाऊँ, कैसे तुझे रिझाऊँ? मुझे तेरे सहारे की जरूरत है, तू ही मेरा आधार है।
अर्थ:
माँ ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति है। वह भक्तों को भक्ति और मुक्ति देती है। मैं माँ का ऋणी हूँ, इसलिए मैं उनकी पूजा करती हूँ। मैं उनके आशीर्वाद के बिना कुछ नहीं कर सकती।
चौथा श्लोक:
मैंने दोनों हाथ उठाकर माँ का नाम लिया है। मैं सिर्फ माँ का ही नाम पुकारती हूँ। तूने सबका उद्धार किया है, इसलिए मैं भी तेरे नाम का जाप करती रहूँगी।
अर्थ:
मैंने माँ से मदद के लिए प्रार्थना की है। मैं सिर्फ माँ का ही नाम पुकारती हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि वह मेरी सुनेंगी और मेरी मदद करेंगी।
पांचवां श्लोक:
तू पहाड़ों वाली है, तू दुनिया की रखवाली करती है। तेरे पर्वतों पर माँ डेरे हैं, लेकिन मेरे कष्टों के पहाड़ हैं। अब तू अवतार लेकर मेरी मदद कर।
अर्थ:
माँ पहाड़ों वाली है और दुनिया की रखवाली करती है। मैं भी माँ के पर्वतों पर डेरा लगाना चाहती हूँ, लेकिन मेरे कष्टों के पहाड़ हैं। मैं उम्मीद करती हूँ कि माँ अवतार लेकर मेरी मदद करेंगी।
छठा श्लोक:
तू सब के संकट हरती है, हर विपदा दूर करती है। जो दिल से तुझे पुकारता है, उसकी सारी चिंता दूर करती है। मैं भी तेरी संतान हूँ, इसलिए तू मुझे भी नहीं भुलाना।
अर्थ:
माँ सबकी मदद करती है। जो भी माँ को याद करता है, उसकी सारी मुसीबतें दूर हो जाती हैं। मैं भी माँ की संतान हूँ, इसलिए मैं उम्मीद करती हूँ कि वह मुझे भी नहीं भुलेंगी।
सातवां श्लोक:
तूने कई अधम लोगों को भी तारा है, जो तुम्हारी शरण में आऐ हैं। जिस ने भी तुझको याद किया, तूने उसके काज संवारे हैं। मैं भी दर-दर ठोकरे खाकर आई हूँ, इसलिए तू मुझे भी अपना ले।
अर्थ:
माँ ने कई ऐसे लोगों को भी तारा है जो अधम थे। जो भी माँ की शरण में आया है, उसके काज संवारे हैं। मैं भी माँ की शरण में आई हूँ, इसलिए मैं उम्मीद करती हूँ कि वह मुझे भी अपना लेंगी।
इस भजन में एक भक्त अपनी मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए माँ से प्रार्थना करती है। वह माँ से कहती है कि वह उसकी पुकार सुनें और उसे मदद करें। भक्त माँ के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करती है।
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