मैं खड़ा द्वारे कबसे दर्शन को नैना तरसे
मैं खड़ा द्वारे कब से,
दर्शन को नैना तरसे,
अब नैन मेरे पथराये दातिए,
मैं आस लगा के आया,
श्रद्धा के फूल लाया,
अब क्यों न दर्श दिखाए दातिए।
मैं बालक हूं माँ तेरा,
मैंने तुझको ही माना,
मेरी आंख खुली माँ जबसे,
माँ बस तुमको ही जाना,
मैं खरा हूं चाहे खोटा,
पर हूं माँ तेरा बेटा,
अब दिल ये मेरा गबराये दातिए।
तू ममता मई है माता तेरा,
दिल ममता का सागर,
मैं जोड़े हाथ खड़ा हूं,
द्वारे पे तेरे आ कर,
तेरी महिमा बड़ी निराली,
तू मैया शेरा वाली,
अब क्यों न गले लगाए दातिए।
मैं मांगू हीरा पना,
मैं चाहु चांदी सोना,
पर गिरी मैं सबसे पहले मांगू,
भक्ति का गहना,
बस एक नजर माँ डालो,
चरणों से अपने लगा लो,
ये लाल तेरा कहलाये दातिए।