रोम रोम में राम समाये भजन

रोम रोम में राम समाये भजन

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 रोम रोम में राम समाये,
राम समय राम नाम,
चित्र चयन,
समय राम समय,
जब लग घट में प्राण है मेरे,
गुण गाऊंगा रघुवर तेरे,
और कुछ ना भाये,
रोम रोम में राम समाये।

मनमंदिर मेरे गांव में,
देवता सांस सांस में,
उनको देखा,
राम नाम राज हीरे मोती,
राम नाम भव तारक है।

मैं आया हूं द्वार तिहारे,
सुख वैभव सब जग के त्यागे,
मैं शरणागत हूं अवधेशवर,
आपने पत्थर तारे हैं।

जर जर मैली तन की चदरिया,
गांठ गठीली दागी दुनिया,
तेरे नाम की माला जपते,
गोरख धंधा करते हैं।

रोम रोम में राम समाये,
राम समय राम नाम,
चित्र चयन,
समय राम समय,
जब लग घट में प्राण है मेरे,
गुण गाऊंगा रघुवर तेरे,
और कुछ ना भाये,
रोम रोम में राम समाये।
 
यह भजन भगवान राम की महिमा का गुणगान करता है। भक्त कहता है कि उसके रोम-रोम में राम समाए हुए हैं। राम के नाम का जाप करते हुए अपना जीवन बिताना चाहता है। राम के नाम में ही खोया हुआ है। वह हर समय राम का नाम ही जपता है। राम के गुणों का गान करता है और केवल राम को ही चाहता है। राम के दर्शन के लिए अपने मन मंदिर में जाता है। वह अपने सांसों में राम को देखता है। वह जानता है कि राम नाम ही मोक्ष का मार्ग है।
 


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