उठ करले भजन भगवान का लिरिक्स Uth Karle Bhajan Bhagwan Ka Bhajan
उठ कर ले भजन भगवान का,
तेरे जीवन का तो यही सार है,
बिना बंदगी भजन भगवान के,
तेरा जीवन यूं ही बेकार है,
उठ कर ले भजन भगवान का,
तेरे जीवन का तो यही सार है।
जन्म मिला तुझे अनमोल हीरा,
माटी में क्यों खो दिया,
जिस मार्ग से जाना तुझे था,
उसी में कांटों को बो दिया,
यह ना जाना कि झूठा संसार है,
और झूठी यह मौज बहार है,
यह दुनिया तो मेला चंद रोज का,
आखिर तो यहां अंधकार है,
उठ कर ले भजन भगवान का,
तेरे जीवन का तो यही सार है।
इस दुनिया की मोह ममता में,
तूने प्रभु को भुला दिया,
विषय विकारों बद कर्मों में,
जीवन सारा लुटा दिया,
जिस नैया में तू सवार है,
वही नैया तेरी मझधार है,
बिना भजन धर्म पतवार के,
कभी होगा ना बेड़ा पार है,
उठ कर ले भजन भगवान का,
तेरे जीवन का तो यही सार है।
भूखा मरे कोई प्यासा मरे पर,
तुझको किसी की फिक्र नहीं,
सत्य अहिंसा दया धर्म का,
तेरी जुबान पर जिक्र नहीं,
सारी बीती उम्र यूं ही झूठ में,
बेईमानी से किया व्यपार है,
जरा मन में तू अपने सोच ले,
तूने कौन सा किया उपकार है,
उठ कर ले भजन भगवान का,
तेरे जीवन का तो यही सार है।
पाप करो चाहे करो भलाई,
ऐसा कभी नहीं हो सकता,
औरों को दुख देगा तो खुद भी,
सुख से कभी नहीं सो सकता,
जैसा बोएगा वैसा काट ले,
यही कर्मो का खुला बाजार है,
जिन कर्मों के जीते जीत है,
उन कर्मों के हारे हार है,
उठ कर ले भजन भगवान का,
तेरे जीवन का तो यही सार है।
दुनिया में रहकर जीते जो मन को,
वो प्राणी सबसे बलवान है,
छोड़ दे तू बदीयों को नाहक,
इसमें तेरा कल्याण है
भव सागर से भी तर जाएगा,
गर तेरा प्रभू से सच्चा प्यार है,
जो भक्ति की आंखों से देखता,
उसे प्रीतम का होवे दीदार है,
उठ कर ले भजन भगवान का,
तेरे जीवन का तो यही सार है।
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