पता नहीं किस रूप में आकर लिरिक्स Pata Nahi Kis Rup Me Lyrics

पता नहीं किस रूप में आकर लिरिक्स Pata Nahi Kis Rup Me Lyrics

 
पता नहीं किस रूप में आकर लिरिक्स Pata Nahi Kis Rup Me Lyrics

राम नाम के साबुन से जो,
मन का मैल छुड़ायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा।

झूठ कपट निंदा को त्यागो,
हर प्राणी से प्यार करो,
घर पर आये अतिथि कोई तो,
यथाशक्ति सत्कार करो,
पता नहीं किस रूप में आकर,
नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा।

राम नाम के साबुन से जो,
मन का मैल छुड़ायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा।

नर शरीर अनमोल रे प्राणी,
प्रभु कृपा से पाया है,
झूठे जग प्रपंच में पड़कर,
क्यों प्रभु को बिसराया है,
समय हाथ से निकल गया तो,
सर धुन धुन पछतायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा।

राम नाम के साबुन से जो,
मन का मैल छुड़ायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा।

दौलत का अभिमान है झूठा,
ये तो आनी जानी है,
राजा रंक अनेक हुए,
कितनों की सुनी कहानी है,
राम नाम के महामंत्र ही,
साथ तुम्हारे जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा।

राम नाम के साबुन से जो,
मन का मैल छुड़ायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह,
राम के दर्शन पायेगा,
वह राम के दर्शन पायेगा,
श्रीराम के दर्शन पायेगा।


Pata Nahi Kis Roop Me Aakar || पता नहीं किस रूप में आकर || Prembhushan ji || #rambhajan #trending

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