गौरा डोल रही पर्वत पे लिरिक्स

गौरा डोल रही पर्वत पे

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गौर डोल रही पर्वत पे,
शिव से ब्याह रचाने को,
ब्याह रचाने को,
भोले से लगन लगाने को,
गौरा डोल रही पर्वत पे,
शिव से ब्याह रचाने को।

ना चाहिए मुझे माथे का टीका,
माथ सजाने को,
हरि नाम की माला चाहिए,
हरि गुण गाने को,
गौर डोल रही पर्वत पे,
शिव से ब्याह रचाने को।

ना चाहिए मुझे गले का हरवा,
गला सजाने को,
हरि नाम की माला चाहिए,
हरि गुण गाने को,
गौरा डोल रही पर्वत पे,
शिव से ब्याह रचाने को।

ना चाहिए मुझे हाथों के कंगना,
हाथ सजाने को,
हरि नाम की माला चाहिए,
हरि गुण गाने को,
गौरा डोल रही पर्वत पे,
शिव से ब्याह रचाने को।

ना चाहिए मुझे कमर की तगड़ी,
कमर सजाने को,
हरि नाम की माला चाहिए,
हरि गुण गाने को,
गौरा डोल रही पर्वत पे,
शिव से ब्याह रचाने को।

ना चाहिए मुझे पैरों की पायल,
पैर सजाने को,
हरि नाम की माला चाहिए,
हरि गुण गाने को,
गौरा डोल रही पर्वत पे,
शिव से ब्याह रचाने को।

ना चाहिए मुझे अंगों की साड़ी,
अंग सजाने को,
हरि नाम की चुनरी चाहिए,
लाज बचाने को,
गौरा डोल रही पर्वत पे,
शिव से ब्याह रचाने को।


Bhole nath bhajan || शिव भजन || गौरा डोल रही पर्वत पे || with lyrics || dholak geet

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