गुरु चरना विच रह के कसम असी खावागे
गुरु चरना विच रह के,
कसम असी खावागे,
दिन होवे या रात,
हरि गुण गावागे।
छोटा सा सागर है,
भरनी असा गागर है,
असी वी भर के गागर,
घर नु जावांगे,
दिन होवे या रात,
हरि गुण गावागे,
गुरु चरना विच रह के,
कसम असी खावागे,
दिन होवे या रात,
हरि गुण गावागे।
गंडा प्रेम दिया पकिया ने,
कोई तोड नही सकदा ऐ,
ऐना गंडा नु पकिया,
होर वी लावांगे,
दिन होवे या रात,
हरि गुण गावागे,
गुरु चरना विच रह के,
कसम असी खावागे।
बंसी सावरे दी बज रही ऐ,
प्यारी राधा नच रही ऐ,
असी वी बन्सी सुन सुन,
नाच दिखावागे,
दिन होवे या रात,
हरि गुण गावागे,
गुरु चरना विच रह के,
कसम असी खावागे।
जग रूस्दा ते रूस जावे,
जग दी परवा कोई ना मेरा,
सावरा ना रूस जावे,
सावरे नु असी ता,
आप मनावागे,
दिन होवे या रात,
हरि गुण गावागे,
गुरु चरना विच रह के,
कसम असी खावागे।
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