इस योग्य हम कहां हैं लिरिक्स
इस योग्य हम कहां हैं लिरिक्स
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें,
फिर भी मना रहे हैं,
शायद तू मान जाये,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
जब से जन्म लिया है,
विषयों ने हमको घेरा,
छल और कपट ने डाला,
इस भोले मन पे डेरा,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
सदबुद्धि को अहम् ने,
हरदम रखा दबाये,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
निश्चय ही हम पतित हैं,
लोभी हैं स्वार्थी हैं,
तेरा ध्यान जब लगायें,
माया पुकारती है,
सुख भोगने की इच्छा,
कभी तृप्ति हो न पाये,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
जग में जहां भी देखा,
बस एक ही चलन है,
इक दूसरे के सुख में,
खुद को बड़ी जलन है,
कर्मों का लेखा जोखा,
कोई समझ न पाये,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
जब कुछ न कर सके तो,
तेरी शरण में आये,
अपराध मानते हैं,
झेलेंगे सब सजायें,
बस दरश तू दिखा दे,
कुछ और हम ना चाहें,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
गुरुवर तुझे रिझायें,
फिर भी मना रहे हैं,
शायद तू मान जाये,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
जब से जन्म लिया है,
विषयों ने हमको घेरा,
छल और कपट ने डाला,
इस भोले मन पे डेरा,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
सदबुद्धि को अहम् ने,
हरदम रखा दबाये,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
निश्चय ही हम पतित हैं,
लोभी हैं स्वार्थी हैं,
तेरा ध्यान जब लगायें,
माया पुकारती है,
सुख भोगने की इच्छा,
कभी तृप्ति हो न पाये,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
जग में जहां भी देखा,
बस एक ही चलन है,
इक दूसरे के सुख में,
खुद को बड़ी जलन है,
कर्मों का लेखा जोखा,
कोई समझ न पाये,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
जब कुछ न कर सके तो,
तेरी शरण में आये,
अपराध मानते हैं,
झेलेंगे सब सजायें,
बस दरश तू दिखा दे,
कुछ और हम ना चाहें,
इस योग्य हम कहां हैं,
गुरुवर तुझे रिझायें।
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