मेरी बलम से ऐसी बिगड़ी
मेरी बलम से ऐसी बिगड़ी,
मेरी कतरी सुपारी ना खाये।
सोने की थाली में भोजन परोसा,
मेरी बलम से ऐसी बिगड़ी,
वो खावे मां के घर जाये,
मेरी बलम से ऐसी बिगड़ी,
मेरी कतरी सुपारी ना खाये।
सोने का लोटा गंगाजल पानी,
मेरी बलम से ऐसी बिगड़ी,
वो पीवे बहन के घर जाये,
मेरी बलम से ऐसी बिगड़ी,
मेरी कतरी सुपारी ना खाये।
पाना पचासी का होवे का बीड़ा,
मेरी बलम से ऐसी बिगड़ी,
वो चावे भाभी के घर जाये,
मेरी बलम से ऐसी बिगड़ी,
मेरी कतरी सुपारी ना खाये।
फूलों की सेज,
मोती झालर का तकिया,
मेरी बलम से ऐसी बिगड़ी,
वो सोवे सौत के घर जाये,
मेरी बलम से ऐसी बिगड़ी,
मेरी कतरी सुपारी ना खाये।
lokgeet || meri balam se aisi bigdi || dholak geet || with lyrics|| nirvah singh
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