नाम संकीर्तन महिमा Naam Sankirtan Mahima Bhajan Lyrics
सर्वधर्मबहिर्भूतः
सर्वपापरतस्तथा,
मुच्यते नात्र सन्देहो,
विष्णुनामानकीर्तनात्।
सर्वधर्मत्यागी और सर्वपापनिरत,
मनुष्य भी भगवान विष्णु के,
नाम का कीर्तन करने से,
सब पापों से छूट जाता है,
इसमें कोई संदेह नहीं है।
तीर्थानां च परं तीर्थं,
कृष्णनाम महर्षयः,
तीर्थीं कुर्वन्ति जगतीं,
गृहीतं कृष्णनाम यैः।
हे ऋषियो समस्त तीर्थों में,
सर्वोपरि तीर्थ कृष्ण नाम है,
जो लोग श्रीकृष्णनाम का,
उच्चारण करते हैं,
वे संपूर्ण जगत को तीर्थ बना देते हैं।
सत्त्वशुद्धिकरं हरिनाम,
ज्ञानप्रदं स्मृतम्,
मुमुक्षणां मुक्तिप्रदं,
कामिनां सर्वकामदम्।
सचमुच हरि का नाम मन की,
शुद्धि करने वाला,
ज्ञान प्रदान करने वाला,
मुमुक्षुओं को मुक्ति देने वाला,
और इच्छुकों की सर्व मनोकामनाएँ,
पूर्ण करने वाला है।
सर्वमंगलमागंल्यमायुष्यं,
व्याधिनाशनम्,
भुक्तिमुक्तिप्रदं दिव्यं,
वासुदेवस्य कीर्तन्म्।
वासुदेव नाम का दिव्य कीर्तन,
संपूर्ण मंगलें में भी परम मंगलकारी,
आयु की वृद्धि करने वाला,
रोगनाशक तथा भोग और,
मोक्ष प्रदान करन वाला है।
गीतायाः श्लोकपाठेन,
गोविन्दस्मृतिकीर्तनात्,
साधुदर्शनमात्रेण,
तीर्थकोटिफलं लभेत्।
गीता के श्लोक के पाठ से,
श्रीकृष्ण के स्मरण और कीर्तन से,
तथा संत के दर्शनमात्र से,
करोड़ों तीर्थों का फल प्राप्त होता है।
सर्वपापरतस्तथा,
मुच्यते नात्र सन्देहो,
विष्णुनामानकीर्तनात्।
सर्वधर्मत्यागी और सर्वपापनिरत,
मनुष्य भी भगवान विष्णु के,
नाम का कीर्तन करने से,
सब पापों से छूट जाता है,
इसमें कोई संदेह नहीं है।
तीर्थानां च परं तीर्थं,
कृष्णनाम महर्षयः,
तीर्थीं कुर्वन्ति जगतीं,
गृहीतं कृष्णनाम यैः।
हे ऋषियो समस्त तीर्थों में,
सर्वोपरि तीर्थ कृष्ण नाम है,
जो लोग श्रीकृष्णनाम का,
उच्चारण करते हैं,
वे संपूर्ण जगत को तीर्थ बना देते हैं।
सत्त्वशुद्धिकरं हरिनाम,
ज्ञानप्रदं स्मृतम्,
मुमुक्षणां मुक्तिप्रदं,
कामिनां सर्वकामदम्।
सचमुच हरि का नाम मन की,
शुद्धि करने वाला,
ज्ञान प्रदान करने वाला,
मुमुक्षुओं को मुक्ति देने वाला,
और इच्छुकों की सर्व मनोकामनाएँ,
पूर्ण करने वाला है।
सर्वमंगलमागंल्यमायुष्यं,
व्याधिनाशनम्,
भुक्तिमुक्तिप्रदं दिव्यं,
वासुदेवस्य कीर्तन्म्।
वासुदेव नाम का दिव्य कीर्तन,
संपूर्ण मंगलें में भी परम मंगलकारी,
आयु की वृद्धि करने वाला,
रोगनाशक तथा भोग और,
मोक्ष प्रदान करन वाला है।
गीतायाः श्लोकपाठेन,
गोविन्दस्मृतिकीर्तनात्,
साधुदर्शनमात्रेण,
तीर्थकोटिफलं लभेत्।
गीता के श्लोक के पाठ से,
श्रीकृष्ण के स्मरण और कीर्तन से,
तथा संत के दर्शनमात्र से,
करोड़ों तीर्थों का फल प्राप्त होता है।
नाम कीर्तन की महिमा // 01/06/21
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