थारो खूब साजो सिणगार म्हारा सांवरिया
थारो खूब साजो सिणगार म्हारा सांवरिया
म्हारा सांवरिया,
म्हारा सांवरिया म्हारा सांवरिया,
थारो खूब साजो सिणगार,
म्हारा सांवरिया।
मोर मुकुट की रे शोभा सोवनी,
जा पे देवूं तन मन वार,
म्हारा सांवरिया
थारो खूब साजो सिणगार,
म्हारा सांवरिया।
नैन रसीला रे तेरा जुल्म करे,
तन्ने मोह लियो सब संसार,
म्हारा सांवरिया,
थारो खूब साजो सिणगार,
म्हारा सांवरिया।
रत्न जड़ित सोवे,
कुण्डल काना में,
तेरे गल पुष्पन का हार,
म्हारा सांवरिया,
थारो खूब साजो सिणगार,
म्हारा सांवरिया।
बाघों केसरियो थारे खूब सजे,
जा की कली कली गुलजार,
म्हारा सांवरिया,
थारो खूब साजो सिणगार,
म्हारा सांवरिया।
चंदा निरखे रे बाबा रूप तेरो,
जा के मनडे हर्ष अपार,
म्हारा सांवरिया,
थारो खूब साजो सिणगार,
म्हारा सांवरिया।
Tharo Khoob Sajo Shringar | Khatu Shyam Beautiful Bhajan | थारो खूब साजो सिणगार | Pramod Bansal | HD
Song: Tharo Khoob Sajo Shringar
Singer: Pramod Bansal (Siliguri) 9434376549
Lyricist: Shiv Charan Ji Bhimrajka
Music: Bijender Chauhan
Video: Malhar Production
Category: Khatu Shyam Bhajan
Producers: Ramit Mathur
Label: Yuki
श्री सांवरिया की दिव्य शोभा तो वैसी ही है जैसे वन में खिले कमल की पंखुड़ियां, जो सूरज की पहली किरणों से सिकुड़कर भी चमक उठती हैं। मोर मुकुट की वह सोने सी चमक, जो आकाश को स्पर्श करती लगती है, हर दृष्टि को बांध लेती है। नैनों में वह रसीली मस्ती, जो संसार के सारे भेदभाव मिटा देती है, और कानों में झिलमिलाते कुण्डल, जो रत्नों की वर्षा सी लगते हैं, मन को शांति का आलिंगन देते हैं। गले का पुष्पमाला हार तो ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने अपनी सारी सुगंध उसी में समेट दी हो। बाघ के केसरिया वस्त्रों की वह भव्यता, जो हर कली को गुलजार बना देती है, जीवन की हर कठिनाई को फूलों की वर्षा में बदल देती है। चंद्रमा भी इस रूप को निहारकर लज्जित हो जाता है, क्योंकि यह शोभा तो अनंत हर्ष की ज्योति है, जो अंधेरे को भी प्रकाशित कर देती है।
इस शोभा में छिपी है वह कृपा, जो तन-मन को समर्पित करने की प्रेरणा देती है। जब यह रूप सामने आता है, तो संसार की मोह-माया अपने आप पीछे हट जाती है, और हृदय में केवल एक ही भावना उमड़ आती है – पूर्ण समर्पण की। यह सज्जा न केवल बाहरी सौंदर्य की है, बल्कि आंतरिक शक्ति की भी, जो हर पीड़ा को विलीन कर देती है। केसरिया वस्त्रों की तरह जीवन भी सज जाता है, जब इस दिव्यता का सान्निध्य मिलता है। चंद्रमा की भांति शीतल, फिर भी सूर्य सी तेजस्वी, यह रूप हर जीव को अपार आनंद की अनुभूति कराता है, और मन की गहराइयों में बसी तड़प को शांत कर देता है। यही तो है वह अलौकिक आकर्षण, जो वर्तमान को पावन बनाकर भविष्य को उज्ज्वल कर देता है।
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थारो का अर्थ है 'आपका'।
खूब का अर्थ है 'बहुत' या 'बहुत ही'।
साजो का अर्थ है 'सजा हुआ है'।
सिणगार का अर्थ है 'श्रृंगार'।
म्हारा का अर्थ है 'मेरे' या 'हमारा'।
सांवरिया श्रीकृष्ण को संबोधित करने वाला शब्द है।
मोर मुकुट की रे शोभा सोवनी का अर्थ है 'मोरपंख से बने मुकुट की शोभा बहुत सुंदर है'। यहाँ सोवनी का अर्थ है 'सुंदर' या 'शोभनीय'।
जा पे देवूं तन मन वार का अर्थ है 'जिस पर मैं अपना तन और मन सब कुछ न्योछावर कर दूँ'। यहाँ जा पे का अर्थ है 'जिस पर'।
नैन रसीला रे तेरा जुल्म करे का अर्थ है 'हे प्रभु, आपके रसीले नैन (आँखें) अत्याचार करती हैं', यहाँ जुल्म का अर्थ 'जादू' या 'प्रभाव' से है जो मन को मोह लेता है।
तन्ने मोह लियो सब संसार का अर्थ है 'आपने सारे संसार को मोहित कर लिया है'। यहाँ तन्ने का अर्थ है 'तुमने' या 'आपने'।
रत्न जड़ित सोवे का अर्थ है 'रत्नों से जड़े हुए सुशोभित हो रहे हैं'।
बाघों केसरियो का अर्थ है 'केसरिया रंग का कुर्ता'।
जा की कली कली गुलजार का अर्थ है 'जिसकी एक-एक कली बहुत सुंदर और खिली हुई है'।
चंदा निरखे रे बाबा रूप तेरो का अर्थ है 'चंदा भी आपके रूप को देखता है'। यहाँ निरखे का अर्थ है 'निहारता है' या 'देखता है'।
जा के मनडे हर्ष अपार का अर्थ है 'जिसके (अर्थात चंदा के) मन में बहुत खुशी है'। यहाँ जा के का अर्थ है 'जिसके'।
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