शायद श्याम पिघल जाए भजन

शायद श्याम पिघल जाए भजन



रोती आँखें रोने दे
श्याम चरण को धोने दे
ग़म आँसू में ढल जाए
शायद श्याम पिघल जाए
शायद श्याम पिघल जाए।

ये माया के हम बच्चे हैं
दुःख सहने में कच्चे हैं
समझे जो दिल की बातें
रोना बस उसके आगे
पत्थर दिल भी हिल जाए
शायद श्याम पिघल जाए।

ग़म जो हद से बढ़ जाए
आँसू बनकर बह जाए
जब कोई प्रेमी रोता है
दर्द श्याम को होता है
पता श्याम को चल जाए
शायद श्याम पिघल जाए।

श्याम के सम्मुख रोएगा
पाप तेरे ये धोएगा
रो रो जब थक जाएगा
पल में काम बन जाएगा
संकट सारे टल जाए
शायद श्याम पिघल जाए।

दौलत से न रीझेगा
आँसू से ही पसीजेगा
हर्ष तू दर पे शीश झुका
आँसू की सौगात चढ़ा
भक्ति तेरी ढल जाए
शायद श्याम पिघल जाए।

रोती आँखें रोने दे
श्याम चरण को धोने दे
ग़म आँसू में ढल जाए
शायद श्याम पिघल जाए
शायद श्याम पिघल जाए।


Shayad Shyam Pighal Jaye | Shyam Bhajan | by Mukesh Bagda

कोई जब अपने जीवन की कठिन राहों से थक जाता है, दिल में दर्द का सैलाब उमड़ आता है… तब कभी शब्द साथ नहीं देते, बस आँखें बोल उठती हैं। ऐसे में मन कहता है – “इन रोती आँखों को रोने दे, मेरी वेदना बहने दे। आज जीवन का बोझ श्याम के चरणों में रख दूँ, शायद उनके स्पर्श से ही सारा ग़म आँसू बनकर निकल जाए, और श्याम भी मेरी पुकार सुन लें।”
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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