भज राधे गोविंदा रे पगले लिरिक्स

भज राधे गोविंदा रे पगले Bhaj Radhey Govinda Re Lyrics

 
भज राधे गोविंदा रे पगले

भज राधे गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे,
तन परिंदे को छोड़ कही,
उड़ जाये न प्राण परिंदा रे,
भज राधे गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे।

झूठी सारी दुनियादारी,
झूठा तेरा मेरा रे,
आज रुके कल चल देगा,
ये जोगीवाला फेरे,
भेद भाव को छोड़ दे पगले,
मत कर तू परनिंदा रे,
भज राधे गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे।

इस जीवन में सुख की कलियां,
और सभी दुख के कांटें,
सुख में हर कोई हिस्सा मांगे,
कोई भी न दुख बांटे,
सब साथी हैं झूठे जगत के,
सच्चा एक गोविंदा रे,
भज राधे गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे।

इस चादर को बड़े जतन से,
ओढ़े दास कबीरा रे,
इसे पहन विषपान कर गई,
प्रेम दीवानी मीरा रे,
इस चादर को पाप करम से,
मत कर तू अब गन्दा रे,
भज राधे गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे।


Bhaj Radhey Govinda

“भज राधे गोविंदा” कोई केवल जप नहीं—यह जीवन का अर्थ है, आत्मा का पुकार है। जब शरीर रूपी यह परिंदा उड़ने को तैयार होता है, तब संसार की कोई डोर उसे रोक नहीं सकती। इसलिए यह भजन स्मरण कराता है कि हर सांस, हर क्षण में गोविंद का नाम जुड़ जाना चाहिए, क्योंकि वही एक सच्चा आधार है, बाकी सब क्षणभंगुर माया है।
 
Bhaj Radhey Govinda · Aashish Kaushik
Bhaj Radhey Govinda
℗ Aashish Kaushik
Released on: 2018-08-30
 
 
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