कलयुग में बन्दे तू ले हरि का नाम

कलयुग में बन्दे तू ले हरि का नाम

कलयुग में बन्दे तू ले हरि का नाम

कलयुग में बन्दे
तू ले हरि का नाम
नहीं कुछ सिवा राम के
रह रह के आएगा
यही तो काम
नहीं कुछ सिवा राम के।

बादल विपत्ति के अंधेरी हैं रातें
भजन सार दुनिया की झूठी हैं बातें
भजन सार दुनिया की झूठी हैं बातें
जाना कहाँ है रस्ते तमाम
नहीं कुछ सिवा राम के
कलयुग में बन्दे
तू ले हरि का नाम
नहीं कुछ सिवा राम के।

मन का रतन रख जतन से अनाड़ी
आगे ठगों की बस्ती है भारी
आगे ठगों की बस्ती है भारी
लुट जाए मोती रहे न छदाम
नहीं कुछ सिवा राम के
कलयुग में बन्दे
तू ले हरि का नाम
नहीं कुछ सिवा राम के।

यह तन है टूटी नउरिया रे प्राणी
इसमें न भर जाए पापों का पानी
इसमें न भर जाए पापों का पानी
नादान केवट है आगे मुकाम
नहीं कुछ सिवा राम के
कलयुग में बन्दे
तू ले हरि का नाम
नहीं कुछ सिवा राम के।

बचपन में खेला जवानी का मेला
आया बुढ़ापा झमेला झमेला
आया बुढ़ापा झमेला झमेला
खाली यह करना पड़ेगा मुकाम
नहीं कुछ सिवा राम के
कलयुग में बन्दे
तू ले हरि का नाम
नहीं कुछ सिवा राम के।

कलयुग में बन्दे
तू ले हरि का नाम
नहीं कुछ सिवा राम के
रह रह के आएगा
यही तो काम
नहीं कुछ सिवा राम के।


भजन !! कलियुग में वन्दे तू ले हरी का नाम //धन्वन्तरी दास जी महाराज #कलियुग_में_नाम,

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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