डोल झुलत हे गिरिधरन झुलावत बाला
डोल झुलत हे गिरिधरन,
झुलावत बाला,
निरख निरख फूलत ललितादिक,
श्रीराधावर नंदलाला।
चोवा चंदन छिरकत भामिनि,
उडत अबीर गुलाला,
कमल नयन को पान खवावत,
पहरावत उरमाला।
वाजत ताल मृदंग अधोटी,
कूजत वेणु रसाला,
नंददास युवती मिल गावत,
रिझवत श्रीगोपाला।
Dol Jhulat Hai Gridharan Jhulavat Bala | Dol Ke Pad | Pushtiras
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