Raskhan Sujan

सुजान रसखान हिंदी अर्थ सहित

सुजान रसखान हिंदी अर्थ सहित   आज महूं दधि बेचन जात ही मोहन रोकि लियौ मग आयौ। माँगत दान में आन लियौ सु कियो निलजी रस जोवन खायौ।। काह कहूँ स...

Saroj Jangir

सुजान-रसखान हिंदी अर्थ सहित

सुजान-रसखान हिंदी अर्थ सहित   मोहन छबि रसखानि लखि, अब दृग अपने नाहिं। ऐंचे आवत धनुष से, छूटे सर से जाहिं।।51।। या छबि पै रसखानि अब वारौं...

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सुजान रसखान हिंदी अर्थ सहित

सुजान रसखान Sujan by Raskhan   मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझार...

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