ओ कान्हा रे आजा रे नाम तेरा पुकारूँ

ओ कान्हा रे आजा रे नाम तेरा पुकारूँ भजन

कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे,
नाम तेरा पुकारूँ,
दिल को कैसे सम्भालूं,
ढूंढ़ती व्याकुल अँखियाँ,
ढूंढ़ती व्याकुल अँखिया,
राह तेरी निहारूँ,
ओ काँन्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे,

आग बनी सावन की वर्षा,
फुल बने अंगारे,
छोड़ गया निर्मोही मुझको,
जियूँ मैं किसके सहारे,
गम की दे दी निशानी,
प्रीत मेरी ना जानी,
तेरे बिन ओ कन्हैया,
तेरे बिन ओ कन्हैया,
ख़तम मेरी कहानी,
ओ काँन्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रै।

तारे गिन गिन के सांवरिया,
कब तक रात बिताऊं,
ओ मेरे दिल के चैन तेरे बिन,
चैन कहाँ से पाऊँ,
मुरली अब की बजा जा,
प्यारे एक बार आजा,
उजड़ी मेरे दिल की दुनिया,
उजड़ी मेरे दिल की दुनिया,
इसे फिर से बसा जा,
ओ काँन्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रै।
ऐसी खता हुई क्या मुझसे,
बन गया तू निर्मोही,
सजा मिली किस बात की फिर ये,
सोच के आँखे रोइ,
मेरे ब्रजराज प्यारे,
छुपा तू जा कहाँ रे,
अगर कोई मुझसे हो गई,
अगर कोई मुझसे हो गई,
खता कर दे क्षमा रे,
ओ काँन्हा रे आजा रे,

ओ काँन्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे,
नाम तेरा पुकारूँ,
दिल को कैसे सम्भालूं,
ढूंढ़ती व्याकुल अँखियाँ,
ढूंढ़ती व्याकुल अँखियाँ,
राह तेरी निहारूँ,
ओ काँन्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रै।


O Kanha Re || ओ कान्हा रे आजा रे || Hindi Krishna Bhajan
O Kaanha Re Aaja Re,

O Kaanha Re Aaja Re,
Naam Tera Pukaarun,
Dil Ko Kaise Sambhaalun,
Dhundhati Vyaakul Ankhiyaan,
Dhundhati Vyaakul Ankhiya,
Raah Teri Nihaarun,
O Kaannha Re Aaja Re,
O Kaanha Re Aaja Re,
 
Singer / Lyrics - Brajraj Thakurji ( Bijjo ) 07500404786
Album - Braj Ki Mati Chandan
Music - Ajju Bhai
Label - Sonotek Cassettes

मन बेचैन है, तेरे बिना हर पल सूना लगता है। नाम तेरा जपते-जपते आँखें राह तकती हैं, पर तू नजर नहीं आता। दिल थामे बैठा हूँ, पर ये व्याकुलता संभाले नहीं संभलती। जैसे कोई प्यासा बूँद-बूँद को तरसे, वैसे ही आत्मा तेरे दर्शन को तरस रही है।

सावन की बरसात भी जलाती है, फूलों में काँटों-सी चुभन है। तूने छोड़ दिया, साथ मेरा छूटा, तो जीवन का आधार डगमगा गया। गम की ये निशानी लिए फिरता हूँ, प्रीत का मोल तुझसे पूछूँ तो जवाब न मिले। तेरे बिना ये कहानी अधूरी है, जैसे सूनी रात में चाँद गायब हो जाए।

तारों को गिनते-गिनते रातें कटती हैं, पर नींद नहीं आती। चैन तू ले गया, अब मन को ठिकाना कहाँ? मुरली की तान सुनाई दे तो शायद जी लूँ, एक बार आकर ये उजड़ा मन बस जाए। जैसे सूखी धरती बारिश से हरी हो, वैसे ही मेरे दिल को तू फिर से आबाद कर दे। क्या भूल हुई, जो तू रूठ गया? आँखें सोच-सोच कर रो पड़ती हैं। हे ब्रजराज, कहाँ छुप गए? अगर कोई खता हुई, तो क्षमा कर दे। मन पुकारता है, राह निहारता है, बस एक बार आजा, ये व्याकुल आत्मा को शांति दे जा।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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