राम राम रट रे भजन लिरिक्स Ram Ram Rat Re Shri Ram Bhajan Lyrics
राम राम राम राम राम राम रट रे,
भव के फंद करम बंध पल में जाये कट रे,
कुछ न संग ले के आये कुछ न संग जाना,
दूर का सफ़र है सिर पे बोझ क्यों बढ़ाना,
मत भटक इधर उधर तू इक जगह सिमट रे,
राम राम राम राम राम राम रट रे,
राम को बिसार के फिरे है मारा मारा,
रे हाथ नाव राम पास है किनारा,
राम की शरण में जा चरण से जा लिपट रे,
राम राम राम राम राम राम रट रे,
पायो जी म्हे तो राम रतन धन पायों,
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, किरपा कर अपनायों,
जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायों,
खायो न खरच चोर न लेवे, दिन-दिन बढ़त सवायों,
सत की नाव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयों,
"मीरा" के प्रभु गिरधर नागर, हरस हरस जश गायों,
राम राम रटु, राम राम रटु, राम राम जपु जीहा,
राम नाम नवनेह मेहको, मन हठि होहि पपीहा,
सब साधन फल कूप सरित सर, सागर सलिल निरासां,
राम नाम रति स्वाति सुधा सुभ सीकर प्रेम पियासा,
गरजि तरजि पाषान बरषि, पबि प्रीति परखि जिय जाने,
अधिक अधिक अनुराग उमँग उर, पर परमिति पहिचानै,
रामनाम गत, रामनाम मति, रामनाम अनुरागी,
व्हे गये हैं जे हो हिगे, त्रिभुवन, तेइ गनियत बड़भागी,
एक अंग मम अगम गवन कर, बिलमु न छिन-छिन छाहै,
तुलसी हित अपनो अपनी द्सि निरुपधि, नेम निबाहें।
ईश्वर के नाम के जाप से सभी विकारों का अंत होता है और सद्गुण विकसित होते हैं। पवित्र मन्त्रों के जाप से पुराने विकार ग्रस्त संस्कारों का अंत होता है और साधक को आत्मिक बल की प्राप्ति होती है। मंत्र जाप करने से मन में स्थिरता आने लगती है और विषय विकार दूर होने लगते हैं। व्यक्ति में दया, आध्यत्मिकता, करुणा, धैर्य जैसे गुणों का विकास होने लगता है। उसका चित्त पवित्र हो जाता है। राम नाम जाप और पवित्र मन्त्रों के जाप से मस्तिष्क में विद्युत की तरंगों का निर्माण होता है जो मस्तिष्क को जाग्रत कर देती हैं तथा साथ ही रहस्मय तरीके से कुछ ख़ास छुपे हुए इलाकों को सक्रीय कर देती है जिससे साधक का सर्वांगीण विकास होता है।