डमरुवा बाजे काँवरिया नाचे भजन लिरिक्स Damarua Baaje Kawariya Nache Lyrics

डमरुवा बाजे काँवरिया नाचे भजन लिरिक्स Damarua Baaje Kawariya Nache Lyrics

डमरुवा बाजे काँवरिया नाचे,
धरती ढोले अम्बर झूमे संग बोल बम के धूणी लागे रे,
डमरुवा बाजे काँवरिया नाँचें,
सावन आया खुशियां लाया झूमो नाचो गाये रे,
कांधे कँवर लेकर जाओ शिव लिंग को नहलाओ रे,
मन के सारे पाप धूलेंगे अरे काया कंचन साजे,
डमरुवा बाजे काँवरिया नाचे,
नंदी पे असवार है भोला मस्त मलंगा लागे है,
नाग गले में जटा में गंगा मस्तक चंदा साजे है,
भोले की ये बांकी सुरतियाँ सबके मन को भावे,
डमरुवा बाजे काँवरिया नाचे
डमरुवा बाजे काँवरिया नाचे,
धरती ढोले अम्बर झूमे संग बोल बम के धूणी लागे रे। 
 

HD VIDEO - डमरुआ बाजे - Damruaa Baje | Sneh Upadhya का शिव भजन | New Bolbam Song 2020
Damaruva Baaje Kaanvariya Naache,
Dharati Dhole Ambar Jhume Sang
Bol Bam Ke Dhuni Laage Re,
Damaruva Baaje Kaanvariya Naanchen,
Saavan Aaya Khushiyaan Laaya
Jhumo Naacho Gaaye Re,
Kaandhe Kanvar Lekar Jao
Shiv Ling Ko Nahalao Re,
Man Ke Saare Paap Dhulenge
Are Kaaya Kanchan Saaje,
Damaruva Baaje Kaanvariya Naache,
Nandi Pe Asavaar Hai
Bhola Mast Malanga Laage Hai,
Naag Gale Mein Jata Mein Ganga
Mastak Chanda Saaje Hai,
Bhole Ki Ye Baanki Suratiyaan
Sabake Man Ko Bhaave,
Damaruva Baaje Kaanvariya Naache
Damaruva Baaje Kaanvariya Naache,
Dharati Dhole Ambar Jhume
Sang Bol Bam Ke Dhuni Laage Re.
 
क्या महत्त्व है कावड़ का : मान्यता है की सर्वप्रथम भगवान् परशुराम ने अपने आराध्य देव श्री शिव के गंगा जल का कावड़ लाकर पूरा महादेव में प्राचीन शिव लिंग का जलाभिषेक किया था। परशुराम ने पुरे विश्व कर विजय हासिल करने के बाद (दिग्विजय के बाद ) मेरठ के पास पूरा नाम के स्थान पर विश्राम किया। यह स्थान उन्हें विश्राम करने के लिए अत्यंत ही मनमोहक और शांत प्रतीत हुआ। मान्यता है की परशुराम ने यहाँ श्री शिव मंदिर बनाने का सकल्प लिया और पत्थर लाने के लिए गंगा तट पर गए और जब वे वहां से पत्थर लाने लगे तो पत्थर रोने लगे क्यों की वे गंगा माता से अलग नहीं होना चाहते थे। तब परशुराम ने उनसे वादा किया की मंदिर निर्माण में काम आने वाले पत्थरों का चिरलकाल तक गंगा जल से अभिषेक किया जायेगा।
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