माँ तेरे भक्तो सा प्रेमी और नही नैमी हूँ

माँ तेरे भक्तो सा प्रेमी और नही नैमी हूँ

(मुखड़ा)
माँ तेरे भक्तों सा प्रेमी,
और नहीं नैमी हूँ मैं।
कुछ नहीं है पास मेरे,
क्या करूं अर्पण तुम्हें,
माँ तेरे भक्तों सा प्रेमी।।


(अंतरा)
है यही एक आरज़ू,
तेरी सेवा नित मिले।
बेटा कहलाऊं तेरा,
मुझको हक इतना मिले।
मन में यह उम्मीदें लेकर,
आ पड़ा दर पर हूँ मैं।
माँ तेरे भक्तों सा प्रेमी।।

(अंतरा)
कुछ न मांगूं मैं कभी,
तुमसे ऐ माता मेरी।
ऐसे ही बरसे सदा,
मुझपे कृपा माँ तेरी।
फिर भले इस जग से,
मुझको कुछ मिले या ना मिले।
माँ तेरे भक्तों सा प्रेमी।।

(अंतरा)
जिस पे तेरी हो कृपा,
उसको फिर क्या चाहिए।
मेरे घर पर भी कभी,
माता रानी आइए।
क्या कहूं तुमसे ऐ मैया,
दास छोटा सा हूँ मैं।
माँ तेरे भक्तों सा प्रेमी।।

(पुनरावृति)
माँ तेरे भक्तों सा प्रेमी,
और नहीं नैमी हूँ मैं।
कुछ नहीं है पास मेरे,
क्या करूं अर्पण तुम्हें,
माँ तेरे भक्तों सा प्रेमी।।
 


माँ तेरा एहसान~Kaise Bhulunga Mai Tera Ehsaan Mawdi ! RaniSati Dadi Bhajan 2018 ! Saurabh-Madhukar

एक भक्त का मन माँ के प्रेम में डूबा है, वह स्वयं को माँ का सच्चा प्रेमी नहीं मानता, पर उसकी आत्मा माँ की भक्ति में रंगी है। उसके पास कुछ भी नहीं, सिवाय एक साफ दिल के, जो वह माँ के चरणों में रख देता है। जैसे कोई बच्चा अपनी माँ को फूल का गुच्छा देता है, वहीँ वह अपनी श्रद्धा माँ को अर्पित करता है।

उसकी एकमात्र चाह यही है कि माँ की सेवा का सौभाग्य उसे हर पल मिले। वह माँ का बेटा कहलाना चाहता है, यह छोटा-सा हक ही उसके लिए सब कुछ है। वह उम्मीदों का दीया जलाकर माँ के दर पर खड़ा है, मानो माँ की एक नजर ही उसका जीवन संवार दे।

वह माँ से कुछ नहीं माँगता, बस उनकी कृपा की वर्षा चाहता है। जैसे धरती बिना शिकायत बारिश को स्वीकार करती है, वहीँ वह माँ की दया को हर हाल में अपनाता है। दुनिया उसे कुछ दे या न दे, माँ का आशीर्वाद ही उसका खजाना है।

जिस पर माँ की कृपा हो, उसे और क्या चाहिए? वह माँ को अपने छोटे-से घर बुलाता है, उसका मन कहता है कि माँ आएँ और उसका जीवन धन्य करें। वह अपने को छोटा-सा दास कहता है, पर उसका प्रेम माँ के लिए अथाह है।

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