दुख में यही तेरे काम आएगा भजन लिरिक्स

दुख में यही तेरे काम आएगा Dukh Me Yahi Tere Kaam Aayega Khatu Shyam Ji Bhajan

दुख में यही तेरे काम आएगा,
कोई आए या ना आए,
मेरा श्याम आएगा,
दुख में यही तेरे काम आएगा।

दुनिया वालों से मैं अपने,
सुख दुःख कभी ना कहता,
मेरी चिंता करने वाला,
खाटू में है बैठा,
बिन बोले ही सबकुछ,
वो जान जाएगा,
दुख में यही तेरे काम आएगा।
कोई आए या ना आए,
मेरा श्याम आएगा,
दुख में यही तेरे काम आएगा।

और किसी के आगे क्यों मैं,
लाज गवाऊ मेरी,
मेरे श्याम को तो बस है,
यहाँ कहने भर की देरी,
जो मैं कहूँगा वो मान जाएगा,
दुख में यही तेरे काम आएगा।
कोई आए या ना आए,
मेरा श्याम आएगा,
दुख में यही तेरे काम आएगा।

दुख में यही तेरे काम आएगा।
कोई आए या ना आए,
मेरा श्याम आएगा,
दुख में यही तेरे काम आएगा।


मेरा श्याम आएगा दुख में यही काम आएगा | Shyam Bhajan by Mona Mehta Madan Kotputli Dharamshala Khatu Shyam Ji Ekadasi kirtan 

Dukh Mein Yahee Tere Kaam Aaega,
Koee Aae Ya Na Aae,
Mera Shyaam Aaega,
Dukh Mein Yahee Tere Kaam Aaega.


Duniya Vaalon Se Main Apane,
Sukh Duhkh Kabhee Na Kahata,
Meree Chinta Karane Vaala,
Khaatoo Mein Hai Baitha,
Bin Bole Hee Sabakuchh,
Vo Jaan Jaega,
Dukh Mein Yahee Tere Kaam Aaega.
Koee Aae Ya Na Aae,
Mera Shyaam Aaega,
Dukh Mein Yahee Tere Kaam Aaega.

Aur Kisee Ke Aage Kyon Main,
Laaj Gavaoo Meree,
Mere Shyaam Ko To Bas Hai,
Yahaan Kahane Bhar Kee Deree,
Jo Main Kahoonga Vo Maan Jaega,
Dukh Mein Yahee Tere Kaam Aaega.
Koee Aae Ya Na Aae,
Mera Shyaam Aaega,
Dukh Mein Yahee Tere Kaam Aaega.

Dukh Mein Yahee Tere Kaam Aaega.
Koee Aae Ya Na Aae,
Mera Shyaam Aaega,
Dukh Mein Yahee Tere Kaam Aaega.
थारी सुफल कमाई महाराज भरथरी थारी, भरथरी थारी।
मालिक कै कारण जोग फकीरी धारी॥टेर॥
है होणहार बलवान, कर्म गति न्यारी।
बिधना का लिखिया लिख, टरै नहीं टारी॥1॥
थारा राजपाट धन माल, सभी रुल ज्यावै।
थारा देख के भगवाँ भेष, शरम मोय आवै॥2॥
है राजपाट घनमाल, सपन की माया।
भिक्षा दे पिंगला मात, भरथरी आया॥3॥
राणी खड़ी सभा कै बीच, लट इयाँ तोड़ै।
मेरा सात फेराँ का पीव, मतीना मुख मोड़ै॥4॥
तेरो मयो गोरखनाथ, पति भरमाया।
मेरो राजन बिछुड्यो जाय, तड़फ रही काया॥5॥
मत देवो गुरु नै गाल, अमर करी काया।
मत तड़फै पिंगला मात, प्रभु की माया॥6॥
गुरु खड्या जंगल कै बीच, देया रया हेला।
थे आओ भरतकुमार गुरु का चेला

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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