जब जब प्रेमी कही पे कोई रोता है

जब जब प्रेमी कही पे कोई रोता है

जब-जब प्रेमी कहीं पे कोई रोता है,
आँख के आँसू से चरण को धोता है,
अक्सर तन्हाई में ही तुमको पुकारे,
ना ज़ोर दिल पे चले।

हारे-हारे-हारे, तुम हारे के सहारे,
हम हारे-हारे-हारे, तुम हारे के सहारे।

तू है मेरा इक सांवरा, तू है मेरा इक सांवरा,
मैं हूँ तेरा इक बावरा, मैं हूँ तेरा इक बावरा।
सुनता नहीं मेरी भला क्यों,
इतना बता दे क्या माजरा?

कैसे कहूं तू है मेरा,
जो कुछ मेरा, वो है तेरा।
आता नहीं है समझ कुछ मुझे,
हारे-हारे-हारे, तुम हारे के सहारे,
हम हारे-हारे-हारे, तुम हारे के सहारे।

हारे-हारे-हारे, तुम हारे के सहारे,
हम हारे-हारे-हारे, तुम हारे के सहारे।


हारे हारे हारे हारे के सहारे Yogesh Chaturvedi जो हारा हुवा है वो बाबा से पुकार करे हरे के सहारे

यह भजन उस भक्त की व्याकुल पुकार है, जो तन्हाई में साँवरे को याद कर आँसुओं से उनके चरण धोता है। साँवरे हारे का सहारा हैं, जो हर दुख में भक्त का हाथ थामते हैं। भक्त अपने बावरपन में उन्हें अपना सब कुछ मानता है, पर मन में एक सवाल उठता है—क्यों नहीं सुनाई देती उसकी पुकार?  

वह कहता है, “तू मेरा साँवरा, मैं तेरा बावरा; जो मेरा है, वो तेरा है।” यह प्रेम और समर्पण का वो रिश्ता है, जो समझ से परे है, फिर भी विश्वास से भरा है। भजन सिखाता है कि साँवरे की शरण में हारा हुआ भक्त भी जीत जाता है, क्योंकि उनका प्रेम हर आँसू को मोती बना देता है। बस दिल से पुकारो, और साँवरा हर पल साथ देगा।  

जय श्री श्याम।
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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