चलो जी श्री वृन्दावन धाम भजन
चलो जी श्री वृन्दावन धाम भजन
चलो जी श्री वृन्दावन धाम,रटेंगे वहाँ राधे राधे राधे राधे नाम,
मिलेंगे कुञ्ज बिहारीचलो रे मन श्री वृन्दावन धाम,
रटेंगे वहाँ राधे राधे राधे राधे नाम,
मिलेंगे कुञ्ज बिहारी,
ओढ़ के काँवल काली,
प्रातः होते ही हम श्री यमुना जी जायेंगे,
कर स्नान हम जीवन सफल बनाएंगे,
तेरे पूरण हो सब काम,
रटेंगे वहाँ राधे राधे राधे राधे नाम,
मिलेंगे कुञ्ज बिहारी, ओढ़ के कांवल काली,
श्री वृन्दावन धाम की महिमा भारी है,
महलन की सरकार श्री राधे जु प्यारी है,
क्यों भटके खाम खां,
रटेंगे वहाँ राधे राधे राधे राधे नाम,
मिलेंगे कुञ्ज बिहारी, ओढ़ के कांवल काली,
श्री वृन्दावन धाम श्री बांके बिहारी को,
एक टक होत ना दर्शन बांके बिहारी को,
तू जप ले आठो याम,
रटेंगे वहाँ राधे राधे राधे राधे नाम,
मिलेंगे कुञ्ज बिहारी, ओढ़ के कांवल काली,
चलो रे मन श्री वृन्दावन धाम,
रटेंगे वहाँ राधे राधे राधे राधे नाम,
मिलेंगे कुञ्ज बिहारी, ओढ़ के काँवल काली,
ओढ़ के काँवल काली,
प्रात होते हम श्री यमुना जी जायेंगे,
कर स्नान हम जीवन सफल बनायेंगे,
तेरे पूरण हो सब काम,
रटेंगे वहाँ राधे राधे राधे राधे नाम,
मिलेंगे कुञ्ज बिहारी, ओढ़ के काँवल काली,
सिर्फ साल मे होत एक दिन मंगला है,
बने नित नये नये फूल के बंगला हैं,
अरे क्यों भटके खाम खां,
रटेंगे वहाँ राधे राधे राधे राधे नाम,
मिलेंगे कुञ्ज बिहारी, ओढ़ के काँवल काली,
दूर दूर से नर नारी सब आते हैं,
अक्षय तीज को दरश चरण के पाते हैं,
करे सब मन के पूरण काम,
रटेंगे राधा जू को नाम,
मिलेंगे कुञ्ज बिहारी,
ओढ़ के कांवल काली,
चलो रे मन श्री वृन्दावन धाम,
रटेंगे वहाँ राधे राधे राधे राधे नाम,
मिलेंगे कुञ्ज बिहारी, ओढ़ के काँवल काली,
SHYAM SUNDER PARASAR भजन चलो जी श्री बृन्दावन धाम चलो जी श्री वृन्दावन धाम भजन
Ratenge Vahaan Raadhe Raadhe Raadhe Raadhe Naam,
Milenge Kunj Bihaareechalo Re Man Shree Vrndaavan Dhaam,
Manoj Shrivastava Royal Studio Rewa mob..9039834037 Manoj Shrivastava Royal Studio Rewa
वृंदावन धाम की पुकार मन को खींच लेती है, जहाँ राधे-राधे का नाम हर साँस में बसता है। काँवल काली ओढ़, कुञ्ज बिहारी के दर्शन को चल पड़ो। यमुना के तट पर स्नान कर, जीवन को सार्थक कर लो—वहाँ हर काम पूरा होता है।
वृंदावन की महिमा अपार, जहाँ राधे जु महलन की सरकार हैं। बाँके बिहारी की एक झलक मन को बाँध लेती है, पर दर्शन को आठों याम जपना पड़े। मंगला आरती का एक दिन, फूलों के बंगले—क्यों भटके, मन? अक्षय तीज को दूर-दूर से भक्त चरणों में शीश झुकाते हैं, और मन की हर मुराद पूरी होती है।
राधे का नाम रटो, बिहारी का दर्शन पाओ। वृंदावन वह ठौर है, जहाँ मन कहीं और न भटके, जैसे पंछी अपने नीड़ में सिमट आए। बस, चल पड़ो—राधे-राधे गाते हुए, और प्रेम के रंग में डूब जाओ।
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Author - Saroj Jangir
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