जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो

जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो

जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं।।
हरि छो जी हिरदा माहिं पट खोलो क्यूं नहीं।।
तन मन सुरति संजो सीस चरणां धरूं।
जहां जहां देखूं म्हारो राम तहां सेवा करूं।।
सदकै करूं जी सरीर जुगै जुग वारणैं।
छोडी छोडी लिखूं सिलाम बहोत करि जानज्यौ।
बंदी हूं खानाजाद महरि करि मानज्यौ।।
हां हो म्हारा नाथ सुनाथ बिलम नहिं कीजिये।
मीरा चरणां की दासि दरस फिर दीजिये।।३।।

Jago Bansi Wale - Hema Malini - Meera - Vani Jairam - Pt. Ravi Shankar - Hindi Devotional Songs

मीरा का यह भजन हरि के प्रति गहरी भक्ति और तड़प का सच्चा स्वर है। वह जगत के रक्षक, अपने हृदय में बसे हरि को पुकारती है—जागो, मेरे मन के पट खोलो, हँसकर बोलो। मीरा का तन-मन, सारी चेतना हरि के चरणों में अर्पित है। वह कहती है—जहाँ देखूँ, वहाँ राम हैं, और मैं उनकी सेवा में डूबना चाहती हूँ।

सदा के लिए वह अपने शरीर को राम के चरणों में समर्पित करती है, बार-बार उनकी भक्ति में लीन होने की विनती करती है। मीरा स्वयं को हरि की बाँदी मानती है, उनकी दया और कृपा की याचना करती है। वह कहती है—हे नाथ, देर न करो, अपनी दासी को दरसन दो। यह भजन सिखाता है कि सच्ची भक्ति में मन की सारी बंदिशें खुल जाती हैं। हरि को सच्चे मन से पुकारो, मीरा की तरह उनके चरणों में डूब जाओ, वे सदा दरसन देते हैं।

Movie: Meera
Music Director: Pt. Ravi Shankar
Singers: Vani Jairam
Director: Gulzar

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