मैने जब से मनाई शेरावाली भजन

मैने जब से मनाई शेरावाली मेरे घर में है हर दिन दिवाली

 (मुखड़ा)
मैंने जब से मनाई शेरावाली,
मेरे घर में है हर दिन दिवाली।।


(अंतरा)
मेरी मैया की शान निराली है,
अपने भक्तों की करे रखवाली है,
माँ ने मुझ पर नज़र जो डाली,
मेरे घर में है हर दिन दिवाली।।

दानव को रण में मार दिया,
संतों को भव से पार किया,
बड़ी प्यारी है शेरावाली,
मेरे घर में है हर दिन दिवाली।।

मैंने शरण जो माँ की पाई है,
मेरी चिंता माँ ने मिटाई है,
नाचूँ, गाऊँ, बजाऊँ मैं ताली,
मेरे घर में है हर दिन दिवाली।।

सुरेंद्र सिंह का ये तराना है,
मेरा दिल तो माँ का दीवाना है,
मैंने सेवा जो माँ की ठानी,
मेरे घर में है हर दिन दिवाली।।

(पुनरावृत्ति)
मैंने जब से मनाई शेरावाली,
मेरे घर में है हर दिन दिवाली।।

Mere Gar Me Hi Dewali मेरे घर में है देवाली Surendear Singh Nithora 

Title :- Mere Gar Me Hi Dewali
Singer :- Surendear Singh Nithora
Music :- Kumar Himanshu
Label :-Kanika Bhakti 

माँ शेरावाली की भक्ति हृदय में ऐसी ज्योत जलाती है, मानो हर दिन जीवन में उजाला बिखर जाए। उनका आशीर्वाद वह शक्ति है, जो भक्त के जीवन को प्रेम और विश्वास से भर देता है। जैसे माँ अपने बच्चे की हर पुकार सुन लेती है, वैसे ही शेरावाली अपने भक्तों की रक्षा करती है, उनकी हर चिंता को हर लेती है।

माँ की महिमा अनंत है—वह दानव का संहार करती है और संतों को संसार के बंधनों से मुक्त करती है। उनकी कृपा से भक्त का मन नाच उठता है, जैसे कोई मंदिर में घंटियाँ बजाकर आनंद मग्न हो जाए। यह भक्ति केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन को माँ के चरणों में समर्पित करने का भाव है।

संत यही सिखाते हैं कि माँ की शरण में सच्चा सुख है। चिंतक इसे आत्मा की शुद्धि का मार्ग मानते हैं, जहाँ माँ का नाम हर डर को मिटा देता है। धर्म का ज्ञान यही बताता है—शेरावाली की सेवा से जीवन उत्सव बन जाता है, जहाँ हर पल माँ का प्रेम और शक्ति साथ रहती है।

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