हारिये ना हिम्मत बिसारिये न राम लिरिक्स Haariye Na Himmat Bisariye Na Raam Lyrics Raam Bhajan
हारिये ना हिम्मत बिसारिये न राम,
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम।
दीपक ले के हाथ में सतगुरु राह दिखाये .
पर मन मूरख बावरा आप अँधेरे जाए,
हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम,
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम।
पाप पुण्य और भले बुरे की वो ही करतातोल,
ये सौदे नहीं जगत हाट के तू क्या जाने मोल,
हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम,
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम।
जैसा जिस का काम पाता वैसे दाम,
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम,
हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम,
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम।
दीपक ले के हाथ में सतगुरु राह दिखाये .
पर मन मूरख बावरा आप अँधेरे जाए,
हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम,
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम।
पाप पुण्य और भले बुरे की वो ही करतातोल,
ये सौदे नहीं जगत हाट के तू क्या जाने मोल,
हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम,
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम।
जैसा जिस का काम पाता वैसे दाम,
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम,
हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम,
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम।
Hariye Na Himmat Bisariye Na Ram - Pinakin Shah - AZAD - Leela Chitnis, Ashok Kumar, Hansa Wadkar
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नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार
भजन नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार ॥
साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये ।
हम से तुमरे और हैं तुम सा हमरा नाहिं ।
अंतरयामी एक तुम आतम के आधार ।
जो तुम छोड़ो हाथ प्रभुजी कौन उतारे पार ॥
गुरु बिन कैसे लागे पार ॥
मैन अपराधी जन्म को मन में भरा विकार ।
तुम दाता दुख भंजन मेरी करो सम्हार ।
अवगुन दास कबीर के बहुत गरीब निवाज़ ।
जो मैं पूत कपूत हूं कहौं पिता की लाज ॥
गुरु बिन कैसे लागे पार
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अंतरयामी एक तुम आतम के आधार ।
जो तुम छोड़ो हाथ प्रभुजी कौन उतारे पार ॥
गुरु बिन कैसे लागे पार ॥
मैन अपराधी जन्म को मन में भरा विकार ।
तुम दाता दुख भंजन मेरी करो सम्हार ।
अवगुन दास कबीर के बहुत गरीब निवाज़ ।
जो मैं पूत कपूत हूं कहौं पिता की लाज ॥
गुरु बिन कैसे लागे पार