श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीनें में भजन
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीनें में,गायक : Lakhbir Singh Lakkha Ji
देख लो मेरे दिल के नगीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीनें में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीनें में,
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
श्रेणी : श्री हनुमान भजन लिरिक्स Hanuman Bhajan
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीनें में भजन
ताना ना सह पाऊँ, क्यों तोड़ी है ये माला,
तुझे ए लंकापति बतलाऊँ,
मुझपे भी है तुझमे भी है, सबमें है समझाऊँ,
ए लंका पति विभीषण ले देख,
मैं तुझको आज दिखाऊं,
(जय श्री राम )
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीनें में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीनें में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीनें में,
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
अनमोल कोई भी चीज, मेरे काम की नहीं,
दिखती अगर उसमे छवि, सिया राम की नहीं,
राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरण करूँ ,
सिया राम का सदा ही मै चिंतन करूँ,
सच्चा आनंद है ऐसे जीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
फाड़ सीना हैं, सब को ये दिखला दिया,
भक्ति में मस्ती है, सबको बतला दिया,
कोई मस्ती ना, सागर को मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ।।
– दोहा –
ना चलाओ बाण,
व्यंग के ऐ विभिषण,
ताना ना सह पाऊं,
क्यूँ तोड़ी है ये माला,
तुझे ए लंकापति बतलाऊं,
मुझमें भी है तुझमें भी है,
सब में है समझाऊँ,
ऐ लंकापति विभीषण, ले देख,
मैं तुझको आज दिखाऊं ।।
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ।।
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ।।
– दोहा –
अनमोल कोई भी चीज,
मेरे काम की नहीं,
दिखती अगर उसमे छवि,
सिया राम की नहीं ।।
राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरण करूँ,
सिया राम का सदा ही मै चिंतन करूँ,
सच्चा आनंद है ऐसे जीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ।।
फाड़ सीना हैं, सब को ये दिखला दिया,
भक्ति में मस्ती है, सबको बतला दिया,
कोई मस्ती ना, सागर को मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ।।
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ।।
Shri Ram Janki Baithe Hai Mere Seene Me श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में Latest Song Bhajan
विभीषण के ताने सुनकर हनुमान का मन कह उठता है—मेरे सीने में राम-जानकी बसे हैं, यह माला नहीं, उनके प्रेम की निशानी है। व्यंग्य के बाण छोड़, देख मेरे दिल का आलम, जहाँ सिया-राम की छवि ही बसती है।
कीर्ति, वैभव, यश की चाह नहीं। बस राम के नाम का रस चाहिए, जो अमृत सा सुख देता है। दुनिया की कोई चीज़ अनमोल नहीं, अगर उसमें सिया-राम न दिखें। राम का सुमिरन, सिया का चिंतन—यही जीवन का सच्चा आनंद है, जैसे कोई साधक सागर की गहराई में मोती पा ले।
हनुमान ने सीना फाड़कर दिखा दिया—भक्ति में मस्ती है, प्रेम में शक्ति है। सागर को मापने की बात नहीं, जब दिल में राम-जानकी का ठिकाना हो। यह भक्ति का रंग है, जो हर सवाल का जवाब प्रेम से देता है—सिया-राम हर दिल में, हर साँस में।
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Author - Saroj Jangir
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