एक बार चली आओ सरकार चली भजन

एक बार चली आओ सरकार चली आओ भजन

एक बार चली आओ,
सरकार चली आओ,
शेरोवाली चली आओ,
जोता वाली चली आओ,
इक बार चली आओ,
सरकार चली आओ।।


मेरे दिल के जो छाले हैं,
मैं कैसे दिखाऊ माँ,
मेरी सुनता नहीं कोई,
मैं कैसे सुनाऊ माँ,
मुझे अपना बना जाओ,
इक बार चली आओ,
शेरोवाली चली आओ,
जोता वाली चली आओ।।

मुझे सबने रुलाया है,
माँ तू ना रुलाना मुझे,
मुझे सबने सताया है,
माँ तू ना सताना मुझे,
मुझे गले से लगा जाओ,
इक बार चली आओ,
शेरोवाली चली आओ,
जोता वाली चली आओ।।

मझधार में है कश्ती,
तू पार लगा दे माँ,
दुनिया मुझ पर हँसती,
तू पार लगा दे माँ,
मुझे पार लगा जाओ,
इक बार चली आओ,
शेरोवाली चली आओ,
जोता वाली चली आओ।।

एक बार चली आओ,
सरकार चली आओ,
शेरोवाली चली आओ,
जोता वाली चली आओ,
इक बार चली आओ,
सरकार चली आओ।।


Ek Baar Chali Aao Maa

जब मन के घाव इतने गहरे हों कि कोई सुनने वाला न मिले, तब माँ शेरोवाली का आह्वान ही एकमात्र सहारा बनता है। वह ज्योतावाली माँ, जो हर दुख को समझती है, अपने भक्त की पुकार पर दौड़ी चली आती है। जैसे कोई बच्चा माँ की गोद में अपनी पीड़ा भूल जाता है, वही आलिंगन माँ शेरोवाली से माँगता है यह मन।

संत का विश्वास कहता है—माँ, बस एक बार आ जाओ, मेरी कश्ती को पार लगा दो। चिंतक का मन सोचता है—जब दुनिया हँसती है, तब माँ का आँचल ही वह शरण है, जहाँ कोई ठोकर नहीं। धर्मगुरु की सीख है—सच्चे हृदय से माँ को पुकारो, क्योंकि उनकी कृपा वह शक्ति है, जो मझधार में भी किनारा दिखाती है।

माँ, तू न रुलाना, न सताना, बस अपने गले से लगा ले। तेरी शरण में आया यह बालक केवल तेरा प्रेम और आशीर्वाद माँगता है। एक बार चली आ, माँ शेरोवाली, और मेरे जीवन की नैया को अपनी ममता से पार कर दे। 

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