आप संग हो मेरे और क्या चाहिए
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए,
आप से ही तो मुझको सहारा मिला,
हो ना हो कोई मुझको ये परवाह नही,
हाथ सिर पे जो मेरे तुम्हारा मिला,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए।
अपने चरणों में मुझको बिठा लीजिए,
सेवा मुझसे भी थोड़ी करा लीजिए,
मैं जो हूँ मौज में तेरी कृपा प्रभु,
तेरे दर से ही मुझको गुज़ारा मिला,
आप संग हो मेरे औंर क्या चाहिए,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए।
नाम तेरे सिवा और लेता नही,
साथ मेरा कोई भी तो देता नही,
हार में जीत में तू ही रहता सदा,
मेरी नैया को भव से किनारा मिला
आप संग हो मेरे औंर क्या चाहिए,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए।
हाल यूँ देख कर भी ना तरसाइए,
तुमको मेरी कसम है चले आइए,
दिल ‘सचिन’ का कही और लगता नही,
जब मुझे रूप का ये नज़ारा मिला,
आप संग हो मेरे औंर क्या चाहिए,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए।
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए,
आप से ही तो मुझको सहारा मिला,
हो ना हो कोई मुझको ये परवाह नही,
हाथ सिर पे जो मेरे तुम्हारा मिला,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए।
आप से ही तो मुझको सहारा मिला,
हो ना हो कोई मुझको ये परवाह नही,
हाथ सिर पे जो मेरे तुम्हारा मिला,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए।
अपने चरणों में मुझको बिठा लीजिए,
सेवा मुझसे भी थोड़ी करा लीजिए,
मैं जो हूँ मौज में तेरी कृपा प्रभु,
तेरे दर से ही मुझको गुज़ारा मिला,
आप संग हो मेरे औंर क्या चाहिए,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए।
नाम तेरे सिवा और लेता नही,
साथ मेरा कोई भी तो देता नही,
हार में जीत में तू ही रहता सदा,
मेरी नैया को भव से किनारा मिला
आप संग हो मेरे औंर क्या चाहिए,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए।
हाल यूँ देख कर भी ना तरसाइए,
तुमको मेरी कसम है चले आइए,
दिल ‘सचिन’ का कही और लगता नही,
जब मुझे रूप का ये नज़ारा मिला,
आप संग हो मेरे औंर क्या चाहिए,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए।
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए,
आप से ही तो मुझको सहारा मिला,
हो ना हो कोई मुझको ये परवाह नही,
हाथ सिर पे जो मेरे तुम्हारा मिला,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिए।
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सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति पूर्ण समर्पण और उनके साथ की अनमोलता का उद्गार है। प्रभु का साथ ही जीवन का सबसे बड़ा सहारा है, जो हर चिंता को दूर करता है। जैसे कोई पथिक थककर विश्राम के लिए वृक्ष की छाया चुनता है, वैसे ही भक्त को श्रीकृष्णजी का आशीर्वाद सिर पर होने से हर डर मिट जाता है। यह विश्वास है कि प्रभु का हाथ साथ हो तो और किसी की आवश्यकता नहीं।प्रभु के चरणों में बैठने की लालसा भक्त के मन की सादगी को दर्शाती है। सेवा का अवसर पाना ही सबसे बड़ी कृपा है, जो जीवन को अर्थ देती है। जैसे नदी किनारे तक पहुँचकर शांत हो जाती है, वैसे ही प्रभु की कृपा से मन मौज में डूब जाता है। यह भक्ति का रास्ता है, जहाँ प्रभु का नाम ही एकमात्र आधार है।
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Author - Saroj Jangir
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