
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
यह भजन श्रीकृष्णजी के प्रति गहन प्रेम और उनके दर्शन की तीव्र अभिलाषा को प्रकट करता है। जब भक्त अपने आराध्य से दूर होता है, तब उसका मन किसी भी सांसारिक चीज़ में रम नहीं पाता—उसके लिए श्रीकृष्णजी का सान्निध्य ही जीवन का सर्वोच्च सुख बन जाता है।
भजन का यह भाव बताता है कि जब श्रीकृष्णजी की अनुपस्थिति में हृदय व्याकुल होता है, तब आँखें उनकी छवि को देखने के लिए तरसती हैं, मन उनकी कृपा का आह्वान करता है, और आत्मा उनकी निकटता को पाने के लिए पुकार उठती है। यह प्रेम एक साधारण अनुराग नहीं, बल्कि वह दिव्य आकर्षण है, जो आत्मा को परमात्मा की ओर ले जाता है।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं