दिलबर की अदा निराली है भजन

दिलबर की अदा निराली है भजन

दिलबर की अदा निराली है
दिलबर की अदा निराली है,
दिल छीन लिया उसने मेरा,
प्यारे की सूरत प्यारी है,
दिल छीन लिया उसने मेरा,

दिन रात तड़पता रहता हु घनश्याम तुम्हारी यादो में,
हस कर सब छीन लिया मेरा जादू है तेरी बातो में,
कंधे पे कामर काली है दिल छीन लिया उसने मेरा,
दिलबर की अदा निराली है.........

प्रग जैसे मोटे नैनो पे बलिहारी जाऊ मैं प्यारे,
वाह छेल छबीले रसियां के है केश घने काले काले,
अधरों पे मुरली प्यारी है दिल छीन लिया उसने मेरा,
दिलबर की अदा निराली है,

हे सर्वेश्वर हे कृष्ण पिया मैं तेरा हूँ तू मेरा है,
आकर के बाह पकड़ मेरी माया ने मुझको गेरा है,
तुझसे जन्मो की यारी है दिल छीन लिया उसने मेरा,
दिलबर की अदा निराली है,

यह भजन श्रीकृष्णजी की अनुपम मोहकता और उनके प्रेम के अनूठे आकर्षण को दर्शाता है। जब कोई भक्त उनके दिव्य स्वरूप को अनुभव करता है, तब उसका मन पूर्ण रूप से उनकी छवि में विलीन हो जाता है।

भजन में श्रीकृष्णजी की मनोहारी अदाओं को दर्शाया गया है—उनकी चंचल मुस्कान, उनकी मधुर वाणी, और उनकी बंसी की धुन, जो आत्मा को उनकी ओर खींच लेती है। यह भाव भक्त के उस अनुराग को प्रकट करता है, जहाँ श्रीकृष्णजी के प्रेम में मन स्वयं ही खो जाता है और कोई अन्य भाव शेष नहीं रहता।
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