राधा तेरी चुनरी मैं लाल रंग दूँ भजन
राधा तेरी चुनरी मैं लाल रंग दूँ भजन
राधा तेरी चुनरी मैं लाल रंग दू,
आजा तेरे गालो में गुलाल मल दू,
कान्हा मुझे ऐसे सताता है क्यों,
रंग गोरे गालो पे लगता है क्यों,
राधा तेरी चुनरी मैं लाल रंग दू,
राधे कन्हैया है तेरा दीवाना,
चल रे झूठ ये है तेरा बहाना,
होली में काहे ववाल करे तू,
आजा तेरे गालो में गुलाल मल दू,
रंग न लगवाएगी तू ठुमके लगाले ,
हम तेरी बातो में ना आने वाले,
गणेश कान्हा से सवाल करे तू,
आजा तेरे गालो में गुलाल मल दू,
आजा तेरे गालो में गुलाल मल दू,
कान्हा मुझे ऐसे सताता है क्यों,
रंग गोरे गालो पे लगता है क्यों,
राधा तेरी चुनरी मैं लाल रंग दू,
राधे कन्हैया है तेरा दीवाना,
चल रे झूठ ये है तेरा बहाना,
होली में काहे ववाल करे तू,
आजा तेरे गालो में गुलाल मल दू,
रंग न लगवाएगी तू ठुमके लगाले ,
हम तेरी बातो में ना आने वाले,
गणेश कान्हा से सवाल करे तू,
आजा तेरे गालो में गुलाल मल दू,
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
इस भजन में राधा-कृष्ण के प्रेम का उत्सवपूर्ण और चंचल भाव प्रकट किया गया है। यह होली के रंगों में डूबी उनकी मधुर छेड़छाड़ को दर्शाता है, जहाँ कान्हा राधाजी को रंगों से सराबोर करने के लिए आतुर हैं।श्रीकृष्णजी का यह नटखट रूप उनकी लीला का प्रमुख तत्व है, जहाँ प्रेम केवल भावनाओं तक सीमित नहीं रहता, बल्कि रंगों की इस उत्सवधर्मिता में जीवंत हो उठता है। राधाजी की अदाएं और कान्हा की मोहकता इस भजन को एक मधुर संवाद का रूप देती हैं।