श्री अन्नपूर्णा देवी जी की आरती
श्री अन्नपूर्णा देवी जी की आरती
सुन्दर भजन में माँ अन्नपूर्णा की महिमा और उनकी कृपा का दिव्य विस्तार किया गया है। वे केवल अन्न की अधिष्ठात्री नहीं, बल्कि समस्त जीवों के पोषण और सुख-शांति की स्रोत हैं। उनकी कृपा से ही जीवन में संतुलन और समृद्धि आती है, जिससे मनुष्य आध्यात्मिक और लौकिक दोनों रूपों में उन्नति प्राप्त करता है।
माँ अन्नपूर्णा केवल भोजन की देवी नहीं, बल्कि वे स्वयं साक्षात् कृपा का स्वरूप हैं। वे आत्मा को पोषित करती हैं, ज्ञान के दीप को प्रज्वलित करती हैं, और जीवन को सत्कर्म की दिशा में प्रवाहित करती हैं। उनकी कृपा से भक्तों को केवल भौतिक सुख ही नहीं, बल्कि आत्मिक संतोष भी प्राप्त होता है। वे दयालु और करुणामयी हैं, जिनकी आराधना से समस्त अभाव दूर होते हैं।
भजन का भाव यह दर्शाता है कि माँ अन्नपूर्णा केवल अन्न की पूर्ति करने वाली शक्ति नहीं, बल्कि वे ज्ञान और आत्मिक प्रकाश की देवी भी हैं। उनकी कृपा से जीवन की उन्नति होती है, और संतोष की अनुभूति होती है। जब कोई श्रद्धा से माँ का स्मरण करता है, तब उसे उनकी अनंत कृपा प्राप्त होती है। यही उनकी भक्ति का वास्तविक स्वरूप है—पूर्णता, संतुलन और आनंद।
माँ अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से जीवन में समस्त विघ्न समाप्त हो जाते हैं। उनकी उपासना से आत्मा का कल्याण होता है, और व्यक्ति जीवन के परम लक्ष्य की ओर बढ़ता है। उनके चरणों में समर्पण से ही सच्चे सुख की प्राप्ति संभव है। यही इस भजन का दिव्य संदेश है—माँ की कृपा से ही जीवन में संतुलन, भक्ति और सिद्धि प्राप्त होती है।
माँ अन्नपूर्णा केवल भोजन की देवी नहीं, बल्कि वे स्वयं साक्षात् कृपा का स्वरूप हैं। वे आत्मा को पोषित करती हैं, ज्ञान के दीप को प्रज्वलित करती हैं, और जीवन को सत्कर्म की दिशा में प्रवाहित करती हैं। उनकी कृपा से भक्तों को केवल भौतिक सुख ही नहीं, बल्कि आत्मिक संतोष भी प्राप्त होता है। वे दयालु और करुणामयी हैं, जिनकी आराधना से समस्त अभाव दूर होते हैं।
भजन का भाव यह दर्शाता है कि माँ अन्नपूर्णा केवल अन्न की पूर्ति करने वाली शक्ति नहीं, बल्कि वे ज्ञान और आत्मिक प्रकाश की देवी भी हैं। उनकी कृपा से जीवन की उन्नति होती है, और संतोष की अनुभूति होती है। जब कोई श्रद्धा से माँ का स्मरण करता है, तब उसे उनकी अनंत कृपा प्राप्त होती है। यही उनकी भक्ति का वास्तविक स्वरूप है—पूर्णता, संतुलन और आनंद।
माँ अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से जीवन में समस्त विघ्न समाप्त हो जाते हैं। उनकी उपासना से आत्मा का कल्याण होता है, और व्यक्ति जीवन के परम लक्ष्य की ओर बढ़ता है। उनके चरणों में समर्पण से ही सच्चे सुख की प्राप्ति संभव है। यही इस भजन का दिव्य संदेश है—माँ की कृपा से ही जीवन में संतुलन, भक्ति और सिद्धि प्राप्त होती है।
श्री अन्नपूर्णा देवी जी की आरती
बारम्बार प्रणाम मैया बारम्बार प्रणाम
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अमिबके,कहां उसे विश्राम |
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो,लेत होत सब काम ||
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर,कालान्तर तक नाम |
सुर सुरों की रचना करती,कहाँ कृष्ण कहं राम ||
चूमहि चरण चतुर चतुरानन,चारू चक्रधर श्याम |
चन्द्र चूड़ चन्द्रानन चाकर,शोभा लखहि ललाम ||
देवी देव | दयनीय दशा में,दया दया तब जाम |
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल,शरणरूप तब धाम ||
श्री ह्रीं श्रद्धा भी ऐ विधा,श्री कलीं कमला काम |
कानित भ्रांतिमयी कांतिशांति,सयीवर दे तू निष्काम ||
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,
कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो,
लेत होत सब काम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर,
कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती,
कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन,
चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर,
शोभा लखहि ललाम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम
देवि देव… दयनीय दशा में,
दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल,
शरण रूप तब धाम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या,
श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी,
वर दे तू निष्काम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
मैया बारम्बार प्रणाम ।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,
कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो,
लेत होत सब काम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर,
कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती,
कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन,
चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर,
शोभा लखहि ललाम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम
देवि देव… दयनीय दशा में,
दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल,
शरण रूप तब धाम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या,
श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी,
वर दे तू निष्काम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।