नैना देवी की आरती
नैना देवी जी की आरती
तेरा अदभुत रूप निराला,आजा! मेरी नैना माई ए |
तुझपै तन मन धन सब वारूं,
आजा मेरी नैना माई ए ||
सुन्दर भवन बनाया तेरा,
तेरी शोभा न्यारी |
नीके नीके खम्भे लागे,
अद्-भुत चित्तर करीतेरा रंग बिरंगा द्वारा || आजा
झाँझा और मिरदंगा बाजे,
और बाजे शहनाई |
तुरई नगाड़ा ढोलक बाजे,
तबला शब्त सुनाई |
तेरे द्वारे नौबत बाजे || आजा
पीला चोला जरद किनारी,
लाल ध्वजा फहराये |
सिर लालों दा मुकुट विराजे,
निगाह नहिं ठहराये |
तेरा रूप न वरना जाए || आजा
पान सुपारी ध्वजा,
नारियल भेंट तिहारी लागे |
बालक बूढ़े नर नारी की,
भीड़ खड़ी तेरे आगे |
तेरी जय जयकार मनावे || आजा
कोई गाए कोई बजाए,कोई ध्यान लगाये |
कोई बैठा तेरे आंगन में,नाम की टेर सुनाये |
कोई नृत्य करे तेरे आगे || आजा
कोई मांगे बेटा बेटी,
किसी को कंचन माया |
कोई माँगे जीवन साथी,
कोई सुन्दर काया |
भक्तों किरपा तेरी मांगे || आजा
सुन्दर भजन में माँ की अलौकिक महिमा और भक्तों के हृदय में उनके प्रति अगाध श्रद्धा का भाव प्रकट किया गया है। माँ का स्वरूप अद्भुत और अनुपम है, जो भक्तों को दिव्यता, भक्ति और असीम अनुग्रह की अनुभूति कराता है। उनकी उपासना में प्रेम और श्रद्धा की वह गहनता निहित है जो भक्तों को आत्मिक शांति और संतोष प्रदान करती है।
माँ का भव्य मंदिर केवल ईंट और पत्थरों से निर्मित नहीं, बल्कि यह भक्तों के श्रद्धा और विश्वास से ओत-प्रोत है। वहाँ की प्रत्येक ध्वनि—शंख, मृदंग, नगाड़ा, और शहनाई—ईश्वरीय शक्ति की गूंज बनकर भक्तों को माँ की दिव्यता का अनुभव कराती है। माँ की कृपा से मंदिर का वातावरण पवित्र होता है, और वहाँ पहुँचने वाले सभी भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति का आश्रय पाते हैं।
भजन का भाव यह दर्शाता है कि माँ की कृपा केवल उन्हीं को प्राप्त होती है जो सच्चे प्रेम और श्रद्धा से उनकी शरण में आते हैं। उनके मंदिर में वही प्रवेश करता है जिसे माँ स्वयं बुलाती हैं, और जिसे उनके अनुग्रह की अनुभूति होती है। भक्त माँ के समक्ष अपना तन-मन-धन समर्पित करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि माँ के आशीर्वाद से जीवन के समस्त कष्ट समाप्त हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का प्रवाह आरंभ होता है।
माँ की भक्ति में मन समर्पित होकर, आनंद की अनुभूति करता है। श्रद्धा और विश्वास से माँ की आराधना करने से भक्त की समस्त इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। उनके चरणों में निवेदन करने से आत्मा निर्मल होती है और जीवन में सच्चे सुख और शांति का संचार होता है। यही माँ के प्रेम का दिव्य प्रकाश है, जो भक्त को ईश्वर की अनंत कृपा से जोड़ता है। माँ की भक्ति से ही जीवन में वास्तविक संतोष और सिद्धि प्राप्त होती है।
माँ का भव्य मंदिर केवल ईंट और पत्थरों से निर्मित नहीं, बल्कि यह भक्तों के श्रद्धा और विश्वास से ओत-प्रोत है। वहाँ की प्रत्येक ध्वनि—शंख, मृदंग, नगाड़ा, और शहनाई—ईश्वरीय शक्ति की गूंज बनकर भक्तों को माँ की दिव्यता का अनुभव कराती है। माँ की कृपा से मंदिर का वातावरण पवित्र होता है, और वहाँ पहुँचने वाले सभी भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति का आश्रय पाते हैं।
भजन का भाव यह दर्शाता है कि माँ की कृपा केवल उन्हीं को प्राप्त होती है जो सच्चे प्रेम और श्रद्धा से उनकी शरण में आते हैं। उनके मंदिर में वही प्रवेश करता है जिसे माँ स्वयं बुलाती हैं, और जिसे उनके अनुग्रह की अनुभूति होती है। भक्त माँ के समक्ष अपना तन-मन-धन समर्पित करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि माँ के आशीर्वाद से जीवन के समस्त कष्ट समाप्त हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का प्रवाह आरंभ होता है।
माँ की भक्ति में मन समर्पित होकर, आनंद की अनुभूति करता है। श्रद्धा और विश्वास से माँ की आराधना करने से भक्त की समस्त इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। उनके चरणों में निवेदन करने से आत्मा निर्मल होती है और जीवन में सच्चे सुख और शांति का संचार होता है। यही माँ के प्रेम का दिव्य प्रकाश है, जो भक्त को ईश्वर की अनंत कृपा से जोड़ता है। माँ की भक्ति से ही जीवन में वास्तविक संतोष और सिद्धि प्राप्त होती है।
तेरा अदभुत रूप निराला,
आजा! मेरी नैना माई ए |
तुझपै तन मन धन सब वारूं,
आजा मेरी नैना माई ए ||
सुन्दर भवन बनाया तेरा,
तेरी शोभा न्यारी |
नीके नीके खम्भे लागे,
अद्-भुत चित्तर करीतेरा रंग बिरंगा द्वारा || आजा
झाँझा और मिरदंगा बाजे,
और बाजे शहनाई |
तुरई नगाड़ा ढोलक बाजे,
तबला शब्त सुनाई |
तेरे द्वारे नौबत बाजे || आजा
पीला चोला जरद किनारी,
लाल ध्वजा फहराये |
सिर लालों दा मुकुट विराजे,
निगाह नहिं ठहराये |
तेरा रूप न वरना जाए || आजा
पान सुपारी ध्वजा,
नारियल भेंट तिहारी लागे |
बालक बूढ़े नर नारी की,
भीड़ खड़ी तेरे आगे |
तेरी जय जयकार मनावे || आजा
कोई गाए कोई बजाए,कोई ध्यान लगाये |
कोई बैठा तेरे आंगन में,नाम की टेर सुनाये |
कोई नृत्य करे तेरे आगे || आजा
कोई मांगे बेटा बेटी,
किसी को कंचन माया |
कोई माँगे जीवन साथी,
कोई सुन्दर काया |
भक्तों किरपा तेरी मांगे || आजा
आजा! मेरी नैना माई ए |
तुझपै तन मन धन सब वारूं,
आजा मेरी नैना माई ए ||
सुन्दर भवन बनाया तेरा,
तेरी शोभा न्यारी |
नीके नीके खम्भे लागे,
अद्-भुत चित्तर करीतेरा रंग बिरंगा द्वारा || आजा
झाँझा और मिरदंगा बाजे,
और बाजे शहनाई |
तुरई नगाड़ा ढोलक बाजे,
तबला शब्त सुनाई |
तेरे द्वारे नौबत बाजे || आजा
पीला चोला जरद किनारी,
लाल ध्वजा फहराये |
सिर लालों दा मुकुट विराजे,
निगाह नहिं ठहराये |
तेरा रूप न वरना जाए || आजा
पान सुपारी ध्वजा,
नारियल भेंट तिहारी लागे |
बालक बूढ़े नर नारी की,
भीड़ खड़ी तेरे आगे |
तेरी जय जयकार मनावे || आजा
कोई गाए कोई बजाए,कोई ध्यान लगाये |
कोई बैठा तेरे आंगन में,नाम की टेर सुनाये |
कोई नृत्य करे तेरे आगे || आजा
कोई मांगे बेटा बेटी,
किसी को कंचन माया |
कोई माँगे जीवन साथी,
कोई सुन्दर काया |
भक्तों किरपा तेरी मांगे || आजा