बाबा श्याम के दरबार मची रे होली भजन

बाबा श्याम के दरबार मची रे होली भजन

बाबा श्याम के दरबार मची रे होली,
बाबा श्याम के,
मची रे होली रे खेलांगा होली,
बाबा श्याम के,
बाबा श्याम के दरबार मची रे होरी,
बाबा श्याम के।।
केमण लाल गुलाल उड़त है,
केमण केसर कस्तूरी,
बाबा श्याम के,
बाबा श्याम के दरबार मची रे होरी,
बाबा श्याम के।।
सौमण लाल गुलाल उड़त है,
सौमण केसर कस्तूरी,
बाबा श्याम के,
बाबा श्याम के दरबार मची रे होरी,
बाबा श्याम के।।
कित्ता रे बरस को यो कुंवर कन्हैयो रे,
कित्ता रे बरस की या राधा गोरी,
बाबा श्याम के,
बाबा श्याम के दरबार मची रे होरी,
बाबा श्याम के।।
आठ बरस को यो कुंवर कन्हैयो रे,
सौलह रे बरस की या राधा गोरी,
बाबा श्याम के,
बाबा श्याम के दरबार मची रे होरी,
बाबा श्याम के।।
बाबा श्याम के दरबार मची रे होली,
बाबा श्याम के,
मची रे होली रे खेलांगा होली,
बाबा श्याम के,
बाबा श्याम के दरबार मची रे होरी,
बाबा श्याम के।।
 
क्यों कहा जाता है भगवान् श्री कृष्णा को रणछोड़ ? भगवान श्री कृष्ण को रणछोड़ के नाम से भी जाना जाता है और का मतलब युद्ध का मैदान का छोड़कर भागने वाला लेकिन सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण भगवान श्री कृष्ण को आखिर क्यों युद्ध का मैदान छोड़कर भागना पड़ा जब मगध के राजा जरासंध कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा तो श्री कृष्ण युद्ध करने के बजाय अपने भाई बलराम के साथ वहां से भाग छूटे इस घटना पर जरासंघ हंसने लगा कृष्ण चाहते तो जरा संग से अकेले ही लड़ सकते थे लेकिन दरअसल वह यह संदेश देना चाहते थे कि शत्रु से तभी युद्ध किया जाना चाहिए जब आपको अपने शौर्य और बल पर पूर्ण यकीन हो ऐसा करके उन्होंने यह संदेश दिया की मूर्खता में कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए अपनी जान को जोखिम में डालने के बजाय अगर भागने में भलाई है तो भाग जाना चाहिए आम लोगों को संदेश देने के लिए ही श्रीकृष्ण ने ऐसा किया हम सभी जानते हैं कि श्री कृष्ण ने महाभारत जैसी युद्ध में पांडवों को जितवा दिया उन्हें आखिर भागने की जरूरत क्या थी वह चाहते तो जरा संघ का वही नाश कर सकते थे किन वह हमें एक संदेश देना चाहते थे जय श्री राधे जय श्री कृष्ण जय श्री नंद के लाला जय हो बांके बिहारी की
 

 
सुंदर भजन में बाबा श्याम की भक्ति और होली के उल्लास को मनमोहक रूप में चित्रित किया गया है। इसमें भक्तों की श्रद्धा और उत्सव का रंग स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जहाँ श्रद्धालु उनके दरबार में उमंग और प्रेम से सराबोर होकर होली खेल रहे हैं। श्याम बाबा के दरबार में भक्तों की भावनाएँ प्रेम, भक्ति और आनंद से परिपूर्ण होती हैं। रंगों की छटा, केसर और कस्तूरी की सुगंध, और गुलाल उड़ने की खुशी भक्तों के मन को उत्साह और आनंद से भर देती है। यह भजन उस अनूठी भक्ति की अनुभूति कराता है, जहाँ बाबा श्याम के नाम का जाप भक्तों के मन को हर बंधन से मुक्त कर देता है।
 
यह भी देखें You May Also Like
Next Post Previous Post